कहीं फीकी न पड़ जाए एमएस धोनी, क्रिस गेल और डेविड वॉर्नर के बल्‍ले की ‘धमक’, यह है कारण

क्रिकेट को आमतौर पर बल्‍लेबाजों का खेल ही माना जाता है. गेंदबाजों की आमतौर पर शिकायत यही होती है कि इस खेल से जुड़े ज्‍यादातर नियम बल्‍लेबाजों को ध्‍यान में रखकर ही बनाए गए हैं और इसमें गेंदबाजों के लिए काफी कम गुंजाइश छोड़ी गई है. जल्‍द ही एक ऐसा नियम लागू होने जा रहा है जिसके तहत बल्‍लेबाज 40एमएम से अधिक की मोटाई वाले बल्‍ले का इस्‍तेमाल नहीं कर सकेंगे. एमसीसी की ओर से लागू की जारी नई गाइडलाइंस के कारण महेंद्र सिंह धोनी, डेविड वॉर्नर और क्रिस गेल जैसे क्रिकेट दिग्‍गजों के बल्‍ले की ‘धमक’ फीकी पड़ सकती है.  दरअसल, मेरिलबोर्न क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने मार्च में क्रिकेट से जुड़ी गाइडलाइंस जारी की थीं. इनमें से एक गाइडलाइन के मुताबिक बल्‍लेबाजों के बैट के निचले हिस्से के किनारों की अधिकतम सीमा 40 एमएम ही होगी.  क्रिकेट का ये बदला नियम एक अक्‍टूबर से प्रभावी होना है. इस नियम के लागू होने पर उन बल्‍लेबाजों को अपने बैट की मोटाई बदलनी होगा जो इस समय 40 एमएस की सीमा से अधिक मोटाई के बल्‍ले का इस्‍तेमाल कर रहे हैं. जाहिर है नियम में इस बदलाव का असर धोनी, वॉर्नर, गेल और कीरोन पोलार्ड जैसा खिलाड़ि‍यों के बल्‍ले पर पड़ेगा जो इस समय 40 एमएम की सीमा से अधिक मोटाई के बल्‍ले का इस्‍तेमाल कर रहे हैं. नए नियमों के अनुसार बल्ले की चौड़ाई 108 एमएम और गहराई 67 एमएम हो सकती है. वहीं एज यानी किनारा 40एमएम से ज्यादा नहीं हो सकते.

जानकारी के अनुसार, अपनी ताबड़तोड़ बल्‍लेबाजी से टीम इंडिया को कई यादगार जीत दिलाने वाले धोनी लंबे समय से 45 एमएम की मोटाई वाले बल्ले से खेल रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया के स्टार डेविड वॉर्नर, क्रिस गेल और पोलार्ड के बैट की मोटाई तो माही के बल्‍ले से भी कहीं अधिक है. इनके बल्‍ले के किनारों की अधिकतम सीमा करीब 50 एमएम है. हालांकि टीम इंडिया में धोनी को छोड़ अन्य किसी भी स्टार बल्लेबाज़ का बल्ला इस नियम से बचा हुआ है. हालांकि अक्‍टूबर से प्रभावी होने वाले इस नियम से भारतीय कप्तान विराट कोहली और दूसरे बल्‍लेबाज प्रभावित नहीं होंगे. इन सबके बैट के किनारों की मोटाई तय सीमा में ही है. दक्षिण अफ्रीका के एबी डि विलियर्स, इंग्‍लैंड के जो रूट और ऑस्‍ट्रेलिया के स्‍टीव स्मिथ के बल्‍ले की मोटाई भी तय सीमा में आती है. ऐसे में इन्‍हें अपने बल्‍लों में बदलाव करने की जरूरत नहीं होगी.

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