उत्तराखण्ड में बर्ड फ्लू ने बढ़ाई मुसीबत

देहरादून। उत्तराखंड में वन्यजीव सुरक्षा को लेकर दिक्कतें पहले ही क्या कम थीं कि अब बर्ड फ्लू के रूप में नई मुसीबत की आहट ने चिंता और बढ़ा दी है। असल में हर साल सर्दियों में मध्य एशिया से बड़ी संख्या में परिंदे उत्तराखंड की सरजमीं में आते हैं और मार्च में वापस लौटते हैं। राज्य में तमाम जलाशय और नदी क्षेत्र इनके पसंदीदा स्थल हैं। इस बीच देश के विभिन्न राज्यों में परिंदों की असमय मौत और इनमें बर्ड फ्लू की पुष्टि की खबरों से यहां भी बेचैनी बढ़नी स्वाभाविक है। हालांकि, वन महकमे ने अलर्ट जारी कर दिया है। जलाशयों व बैराजों पर खास निगरानी शुरू कर दी गई है, वन क्षेत्रों में भी निगहबानी हो रही है। बावजूद इसके चिंता कम होने का नाम नहीं ले रही। वह इस बात की कि यदि बर्ड फ्लू ने यहां दस्तक दी तो स्थानीय परिंदों के लिए भी दिक्कतें बढ़ जाएंगी। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फ से लकदक चोटियां भले ही सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बनी हों, मगर बेजबानों की सुरक्षा की चुनौती भी कम नहीं है। दरअसल, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी के बाद वहां रहने वाले वन्यजीव हर साल ही निचले क्षेत्रों की तरफ रुख करते हैं। इस दौरान उनकी जान सांसत में रहती है। वर्तमान में भी वन्यजीवों के नीचे उतरने का क्रम शुरू हो गया है। तलहटी वाले क्षेत्रों में आबादी के इर्द-गिर्द ये नजर आने लगे हैं। ऐसे में इनकी सुरक्षा की चुनौती बढ़ गई है। हाल में कुछेक स्थानों पर वन्यजीव अंगों के साथ तस्कर पकड़े भी गए हैं। ऐेसे में चिंता ये साल रही कि कहीं कोई शिकारी अथवा तस्कर वन्यजीवों को निशाना न बना दें। हालांकि, संबंधित क्षेत्रों में वन महकमे द्वारा की गश्त तेज किए जाने का दावा है, लेकिन इस मामले में अधिक सतर्कता बरते जाने की आवश्यकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *