उत्तराखंड में लापरवाही के भेंट न चढ़ जाए ढाई लाख छात्रों का भविष्य

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: मानव संसाधन मंत्रालय और यूजीसी के मानकों पर गौर करे तो भारत में केवल संस्थागत और दूरस्थ माध्यम से शिक्षण का ही प्रावधान है। उत्तराखंड की बात करें तो यहां तीसरे माध्यम यानी व्यक्तिगत परीक्षा भी जारी है। इस माध्यम से परीक्षा में शामिल हो रहे करीब ढाई लाख छात्रों का भविष्य अधिकारियों की मनमानी के कारण खतरे में है। इस मुद्दे पर लंबे मंथन और राजभवन के आदेशों के बावजूद विश्वविद्यालय गंभीर नहीं दिख रहे हैं। राज्य में हाल ही में व्यक्तिगत परीक्षा के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी हुई है।

दो साल की मशक्कत के बाद बीते वर्ष राज्य के श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय और कुमाऊं विश्वविद्यालय के व्यक्तिगत छात्रों को उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में समायोजित करने के आदेश जारी कर दिए गए थे। तब लगा था कि इस साल से इन छात्रों के भविष्य से अवैध उपाधि का खतरा टल गया है, लेकिन इस साल फिर ये छात्र व्यक्तिगत परीक्षा में ही शामिल हो रहे हैं।

इसके पीछे विश्वविद्यालयों के लालच की बात करें तो यह आर्थिक है। ढाई लाख छात्रों से मिलने वाले शुल्क से दोनों विश्वविद्यालयों की खासी आय होती है। इस मुद्दे को राज्यपाल के सामने भी ये विश्वविद्यालय रख चुके हैं। उस वक्त राज्यपाल ने साफ कहा था कि विश्वविद्यालय कमाई के लिए नहीं छात्रों के भविष्य को ध्यान में रख काम करें।

इसके बावजूद विश्वविद्यालय अपना रवैया बदलने को तैयार नहीं। दोनों विश्वविद्यालय स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर व्यक्तिगत परीक्षा आयोजित कराते हैं। इन दोनों विश्वविद्यालयों में करीब ढाई लाख छात्र पंजीकृत हैं।

श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. उदय सिंह रावत का कहना है कि विश्वविद्यालय छात्रों के समायोजन के लिए मुक्त विश्वविद्यालय को पत्र भेज चुका है। इस सत्र में कुछ कारणों के चलते परीक्षा आयोजित कराने में मुक्त विश्वविद्यालय ने अक्षमता जताई है। इसलिए विश्वविद्यालय को परीक्षा आयोजित करानी पड़ी।

उधर, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. राकेश रयाल का कहना है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों के अनुसार व्यक्तिगत परीक्षा का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए तमाम छात्रों को मुक्त विश्वविद्यालय में समायोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2018 से राज्य के सभी व्यक्तिगत छात्रों की परीक्षा उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ही कराएगा।

 

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