उत्तराखंड में ‘थूकना मना है’ का आदेश फाइलों में ही कैद

उत्तराखंड में ‘थूकना मना है’ का आदेश 18 दिन से फाइलों में ही कैद है। प्रमुख सचिव रमेश चंद्र खुल्वे ने सभी सरकारी कार्यालयों में पान मसाला खाकर थूकने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
देहरादून, [अंकुर अग्रवाल]: उत्तर प्रदेश में तो मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी सरकारी कार्यालयों में गुटखा और पान-मसाला खाने पर बुधवार को एक्शन मोड में आ गए, मगर अपने उत्तराखंड में यह आदेश 18 दिन से फाइलों में ही कैद है। प्रमुख सचिव रमेश चंद्र खुल्वे ने बीती छह मार्च को ही उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक स्थलों समेत सभी सरकारी कार्यालयों में गुटखा या पान मसाला खाकर थूकने और कूड़ा फेंकने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
शासन ने नियम तोड़ने पर गिरफ्तारी तक का प्रावधान रखा है। शासनादेश सूबे के सभी शहरी निकायों को भेजा तो गया, मगर न तो यह शासनादेश सार्वजनिक हुआ और न इसके अनुपालन को कदम ही उठाए गए। तीर्थाटन एवं पर्यटन की दृष्टि से उत्तराखंड विश्व प्रसिद्ध राज्य है। यहां ऐसे आदेश का अनुपालन तीव्रता के साथ होना चाहिए था, लेकिन 18 दिन बाद भी उत्तराखंडवासियों को नहीं पता कि सड़क पर थूकना या कूड़ा फेंकना मना है। सार्वजनिक स्थल तो दूर सरकारी गलियारों में भी इस आदेश का अनुपालन नहीं हुआ।
इन्हें कराना है अनुपालन
जिलाधिकारी की ओर से प्राधिकृत अधिकारी, नगर निकाय के कार्यपालक अधिकारी, स्वास्थ्य/चिकित्सा अधिकारी, मुख्य सफाई निरीक्षक, पुलिस में निरीक्षक व इससे ऊपर की श्रेणी के अधिकारी, राजस्व में निरीक्षक व इससे ऊपर की श्रेणी के अधिकारी।
सजा का प्रावधान
-सार्वजनिक स्थल पर थूकते हुए या कूड़ा फेंकते हुए पकड़े जाने पर संबंधित व्यक्ति को उस स्थल की सफाई करनी होगी। यदि वह सफाई नहीं करता तो उसपर आने वाला व्यय संबंधित व्यक्ति से जुर्माने के रूप में वसूला जाएगा।
-इसके साथ सड़क पर मलबा फैलाने, नाली में गंदगी या गोबर बहाने पर संबंधित भवन मालिक दोषी होगा।
-उपरोक्त सभी मामलों में दोष सिद्ध होने पर अधिकतम पांच हजार रुपये जुर्माना या छह माह की कैद अथवा दोनों सजाएं दी जा सकती हैं।
-यदि कोई व्यक्ति निरंतर अपराध करता है तो उससे रोजाना पांच सौ रुपये जुर्माना लिया जाएगा, जब तक वह सुधरता नहीं।
गिरफ्तारी का भी प्रावधान
सक्षम अधिकारी पुलिस की मदद से थूकने या गंदगी फैलाने वाले को गिरफ्तार भी कर सकता है, लेकिन यह उसी सूरत में होगा, जब आरोपी अपना नाम और पता न बता रहा हो। उसे 24 घंटे पुलिस हिरासत में निरुद्ध कर प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां पेश किया जाएगा। प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के अतिरिक्त कोई भी न्यायालय इस श्रेणी के अपराध का संज्ञान नहीं लेगा।
जुर्माना नहीं दिया तो ‘सफाईकर्मी’ की ड्यूटी
यदि कोई व्यक्ति जुर्माना देने में सक्षम नहीं होगा तो उसे स्थानीय निकाय में तब तक सामुदायिक सफाई सेवा करनी पड़ेगी जब तक उसके जुर्माने की राशि वसूल नहीं हो जाती।

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