उत्तराखंड में खिला कमल, हो गया इंजन डबल, जान‌िए कैसा रहा चुनावी दंगल

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। पीएम मोदी की केंद्र और राज्य में डबल इंजन की सरकार की अपील राज्य के मतदाताओं के मन में उतर गई। उन्होंने भाजपा की झोली में रिकार्ड 56 सीटें डालकर प्रदेश में कमल खिला दिया है। भाजपा के इस शानदार प्रदर्शन के सामने कांग्रेस महज 11 सीटों पर सिमट गई।  दो प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव जीते। लोहाघाट सीट पर ईवीएम में तकनीकी खामी आ जाने के कारण एक बूथ पर 15 मार्च को फिर से मतदान कराया जाएगा। लिहाजा इस सीट का परिणाम रोक दिया गया है। इस सीट पर भाजपा बढ़त बनाए हुए है।

प्रदेश में हुए अब तक चार विधानसभा चुनावों में यह कांग्रेस का सबसे खराब और निराशाजनक प्रदर्शन है। पार्टी की करारी शिकस्त के बाद हरीश रावत ने मुख्यमंत्री पद से राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। महाधिवक्ता वीबीएस नेगी ने भी पद से इस्तीफा दे दिया है।

कार्यवाहक सीएम ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इसे मोदी क्रांति और ईवीएम का चमत्कार करार दिया। चुनाव में हरीश रावत समेत कई खांटी दिग्गजों को हार का मुंह देखना पड़ा। रावत हरिद्वार ग्रामीण व किच्छा से चुनाव हारे। उनकी कैबिनेट के दो मंत्री डॉ. इंदिरा हृदयेश और प्रीतम सिंह के अलावा निर्दलीय चुनाव में उतरे प्रीतम पंवार ही चुनाव जीत पाए।

कैबिनेट मंत्री राजेंद्रसिंह भंडारी बदरीनाथ से, सुरेंद्र सिंह नेगी कोटद्वार से, मंत्री प्रसाद नैथानी देवप्रयाग से, दिनेश धनै टिहरी से व हरीश चंद्र दुर्गापाल लालकुआं से चुनाव हार गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को भी सहसपुर से हार का सामना करना पड़ा।

उधर, चुनाव में करिश्मा दिखाने वाली मोदी लहर के बावजूद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट रानीखेत से चुनाव हार गए। कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में गए 11 पूर्व विधायकों में नौ चुनाव मैदान में उतरे थे, जिनमें से सात ने चुनाव जीता। भाजपा ने कांग्रेस के बागी पूर्व सीएम विजय बहुगुण की सीट सितारगंज से उनके बेटे सौरभ बहुगुणा को मैदान में उतारा और उसका यह दांव सही साबित हुआ।

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