उत्तराखंडः कांवड़ मेले में आने वालों का होगा रजिस्ट्रेशन
देहरादून : शासन ने कांवड़ मेले में श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी का अनुमान लगाते हुए इस बार विशेष कदम उठाए हैं। शासन ने एडवाइजरी जारी करते हुए सभी राज्यों से अनुरोध किया है कि विभिन्न जिलों से आने वाले कांवडिय़ों का रजिस्ट्रेशन संबंधित ब्लाक व तहसील में किया जाए। मकसद यह बताया गया कि इससे श्रद्धालुओं के आने व जाने के विषय में पूर्ण जानकारी रहेगी।
प्रदेश में सोमवार से कांवड़ मेला शुरू हो गया है। इसके लिए पुलिस व प्रशासन स्तर से पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। एक पखवाड़े से अंतरराज्यीय बैठकों के कई दौर हो चुके हैं। मेले की सुरक्षा को लेकर केंद्र से आठ कंपनियां अद्र्धसैनिक बलों की मंगाई गई हैं।
दरअसल, बीते दो दशकों में कांवड़ुयों की संख्या में भारी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। 2016 में यह संख्या 3.24 करोड़ रही। इस वर्ष यह और बढऩे की संभावना है। इसे देखते हुए शासन की ओर से भी सुरक्षित कांवड़ मेले को लेकर एक एडवाइजरी जारी की गई है।
कांवड़ुयों को कांवड़ क्षेत्र, यानी नीलकंठ ऋषिकेश से आगे कांवड़ियों की वेशभूषा में जाने पर रोक लगाने की बात कही गई है। इस वर्ष इसमें एक और नई बात जोड़ी गई है और वह कांवड़ियं के रजिस्ट्रेशन की है। ऐसा नहीं है कि यह कवायद पहली बार की जा रही है। प्रदेश में वर्ष 2013 के बाद आई आपदा को देखते हुए सरकार ने तब भी कांवड़ियों के रजिस्ट्रेशन की योजना बनाई थी।
इसके तहत उत्तराखंड के प्रवेश द्वार पर इनका रजिस्टे्रशन किया जाना था, मगर सावन में कांवडिय़ों की भारी संख्या के कारण यह व्यवस्था चरमरा गई। इसके बाद यह व्यवस्था लागू नहीं हुई। इस बार शासन ने रजिस्ट्रेशन करने का अनुरोध संबंधित राज्यों से ही किया है। उनसे कहा गया है कि वे कांवड़ पर आने वाले यात्रियों का संबंधित जिलों की तहसील व कस्बों में ही रजिस्ट्रेशन कराने की व्यवस्था करें। हालांकि, शासन व प्रशासन को इसकी उम्मीद कम ही है।
एडीजी रामसिंह मीना का कहना है कि अंतरराज्यीय बैठक में सभी राज्यों से गांव-गांव जाकर कांवड़ यात्रा के दौरान उठाए जाने वाले एहतियाती कदमों के बारे में जानकारी देने का अनुरोध किया गया है। यदि ये राज्य रजिस्ट्रेशन कराने में भी सफल रहते हैं तो यह एक अच्छी बात होगी।