इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने BCCI की प्रशासक कमेटी से दिया इस्‍तीफा, निजी कारणों का दिया हवाला

नई दिल्ली: प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने बीसीसीआई की प्रशासक कमेटी से इस्‍तीफा दे दिया है. उन्‍होंने इस संबंध में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से पदमुक्‍त करने की गुहार लगाई. उन्‍होंने निजी कारणों से इस्‍तीफा देने की बात कही है. गुहा ने कहा है कि उन्होंने अपना इस्तीफा सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति के प्रमुख विनोद राय को सौंप दिया है. सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर 14 जुलाई को सुनवाई होगी.जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा को 30 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने चार क्रिकेट प्रशासकों की सूची में स्‍थान दिया था.

रामचंद्र गुहा इतिहासकार होने के साथ ही एक बेहतरीन क्रिकेट इतिहासकार भी हैं. प्रथम श्रेणी क्रिकेट के बारे में उनकी जबर्दस्‍त जानकारी है. वह इस संबंध में देश-दुनिया के महत्‍वपूर्ण अखबारों में कॉलम भी लिखते रहे हैं. रामचंद्र गुहा को प्रथम श्रेणी क्रिकेट की जबर्दस्‍त जानकारियों के साथ अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट और उसके इतिहास की गहरी जानकारी है. वह बेहद अधिकार के साथ इन मसलों पर लिखते-बोलते रहे हैं.

इसकी बानगी इस बात से समझी जा सकती है कि उन्‍होंने सबसे पहले बताया कि जेंटलमेंस गेम कहा जाने वाला क्रिकेट अपने शुरुआती स्‍वरूप में ऐसा नहीं था. इसे दक्षिणी इंग्‍लैंड के गावों में खेला जाता था. 19वीं सदी में जाके ये शहरों का हिस्‍सा बना. क्रिकेट के ऐसे ही अनगिनत किस्‍सों को गुहा ने अपनी किताब ‘विदेशी खेल अपने मैदान पर’ समेटा है.  इस किताब में भारतीय क्रिकेट का सामाजिक इतिहास समझाया गया है.

जब भारत की धरती पर पहली बार किसी बल्‍लेबाज ने स्‍ट्राइक लेने के बाद पिच पर ठक-ठक की आवाज की होगी और दूसरे छोर पर पहली बार एक गेंदबाज बॉल फेंकने के लिए रनरअप की भूमिका में रहा होगा, तब से लेकर आधुनिक टी-20 फॉर्मेट एवं आईपीएल के शुरू होने तक के हर किस्‍से को इस किताब में समेटा गया है.

इसके अलावा रामचंद्र गुहा(58) सामाजिक और राजनीतिक इतिहास पर लेखन के लिए जाने ही जाते हैं. ‘गांधी बिफोर इंडिया’ और ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ उनकी चर्चित रचनाएं हैं.

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