आम लोगों को मिले अनुसंधान का लाभ: निशंक

नई दिल्ली/देहरादून, । सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति, सांसद हरिद्वार डाॅ. रमेश पोखरियाल ’निशंक’ ने आज लोक सभा में प्रश्नकाल में देश में विभिन्न विश्वविद्यालयेां में शोध संस्थानों में शोध के गिरते हुए स्तर पर चिंता जताते हुए जानना चाहा कि क्या सरकार द्वारा शोध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कोई समन्वय तंत्र की स्थापना की गयी है। डाॅ0 निशंक ने यह भी जानना चाहा कि शोध एवं अनुसंधान का लाभ आम आदमी तक नहीं पहुंच रहा है। विभिन्न शोध संस्थानों/ विवि के अनुसंधान को आम जन तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल देते हुए डाॅ0 निशंक ने पूछा कि सरकार द्वारा जन साधारण को अनुसंधान के लाभ पहुंचाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। उन्होंने ऐसी प्रौद्योगिकी की जानकारी भी मांगी जो कि उद्योगों के लिए विकसित की गयी है। अपने उत्तर में मंत्री ने उत्तर देते हुए बताया कि सरकार विशेषज्ञ समितियों, कार्यक्रम सलाहकार समितियों, सलाहकार बोर्ड, प्रबंधन परिषदों के माध्यम से गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कृतसंकल्प है। वैज्ञानिक उत्कृष्टता के लिए विश्वविद्यालयों को प्रोत्साहित किया जाता है। डाॅ0 निशंक के प्रौद्योगिकी को आम लोगों तक पहुंचाने की चिंता पर मंत्री ने बताया कि सरकार इन्क्यूबेटर एवं सीड सहायता तंत्र से अनुसंधान को आम जन तक ले जाने का कार्य कर रही है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि सी.एस.आई.आर. उद्योगों के लिए प्रौद्योगिकी को लाइसेंस दे रही है। सौ से अधिक प्रौद्योगिकी इनक्यूवेटरों के माध्यम से नवोन्मेष अनुसंधान को आम जन तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। पिछले चार सालों में 84 से अधिक प्रौद्योगिकियों को वाणिज्यकरण हेतु लाइसेंस प्रदान किया जा रहा है। मंत्री ने डाॅ. निशंक को अवगत कराया कि विगत चार वर्षो में जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने टीका, चिकित्सीय उपकरण व निदान सहित 30 उत्पादों का वाणिज्यीकरण किया है। मंत्रालय द्वारा विश्व स्तर पर अनुसंधान, निगरानी और समरूपता प्रदान करने के लिए कदम उठाए गये हैं। मंत्री ने यह भी बताया कि अनुसंधान को बढावा देने हेतु राष्ट्रीय नवोन्मेष निर्माण एवं उपयोग निधि की स्थापना की गयी है।

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