सावधानी ही बचाव है
राज्य में चारो ओर हाहाकार मची हुई है। हम अपने चारों ओर देख रहे हैं लोग परेशान हैं, दुखी हैं लेकिन सरकार की ओर से कोई समाधान नहीं दिया जा रहा है। कोविड-19 का कहर एक बार फिर से आरम्भ हो चुका है। पिछले वर्ष की भांति जबकि यह वायरस नया-नया भारत में आया था, सरकार के द्वारा बेहतरीन व्यवस्था की गई थी। थोड़ी देर से ही सही लेकिन सार्वजनिक जीवन में बंदी लगाकर सरकार ने पिछले वर्ष कोरोना को हराने का अच्छा तरीका निकाला था, पूरी दुनिया इस वायरस से तबाह हो रही है। पूरा वर्ष बीत गया, थोड़ा-थोड़ा आराम मिल ही पाया था कि दोबारा से इस वायरस ने बदले हुए रूप के साथ आक्रमण कर दिया। इस बार यह और भी क्रूर होकर आया है। दुनिया को फिर से अपनी गिरफ्त में ले रहा है, यह चिंताजनक भी है और एक गम्भीर चुनौती भी। इस बार के वायरस ने तो बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। शहर हो गांव सभी जगह इस वायरस ने अपनी पकड़ बनाई है, यह चिंताजनक है। पहाड़ों पर भी इसने अच्छी खासी लहर पैदा की है। राज्य सरकार के लिए यह चिंता का सबब बन गया है। इस बार पूर्ण बंदी जैसे हालात देखने के लिए शायद आम जन तैयार नहीं है, इसीलिए यह वायरस और भी घातक हो रहा है। सावधानी बहुत जरूरी है। जरा ठहरो, चिंतन करो- यह संसार उस परम अस्तित्व की क्रीडास्थली है और वह प्रकृति के माध्यम से यहाँ पर विविध प्रकार की क्रीडाएं किया करता है। आज हम देख रहे हैं कि विश्व मानव को हैरान-परेशान करने के लिए एक अदृश्य वायरस फिर से अपने रूप को बदलते हुए आ पहुुंचा है, जिसने अभी पिछले वर्ष ही लाखों मानव जीवन समाप्त कर दिये थे, अब वही और भी भयानक होकर आ गया है। लाखों लोगों पर उसका खतरा मंडरा रहा है। वास्तव में हम देखें तो जन सामान्य अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में ऐसे उलझ जाता है कि वह जीवन के ध्येय को भूल जाता है और इसके लिए समय-समय पर विज्ञ जन अवतरित होते रहते हैं और उन्हें झकझोरते हैं, उन्हें स्मरण कराते हैं कि इस मानव शरीर को पाने का मुख्य उद्देश्य क्या है! समय के साथ कुछ लोग जागते हैं और उसे पाने का प्रयास करते हैं। इस प्रयास में कई बार लोग सफल भी होते हैं और इस धरती पर सुखमय आकाश निर्मित होता है। लेकिन इसी क्रम में अनेकों लोग अलग ही मार्ग अपनाते हैं, जिससे इस आनन्दमय मार्ग में बाधा उत्पन्न होती है। विज्ञान के नित नूतन आविष्कारों ने धरती पर विनाश के बीज बो दिये हैं अनजाने ही। वैज्ञानिक जीवन को सुखमय और आसान बनाना चाहते हैं और इसके लिए ही उन्होंने अनेकानेक आविष्कार किये हैं। इन आविष्कारों ने जीवन को सुगम तो बनाया है लेकिन इसी क्रम में अनेकों विनाशक विस्फोटक भी निर्मित हुए हैं और मनुष्यों के एक बड़े वर्ग ने इन विनाशकों के द्वारा धरती को ही विनष्ट करने का उपक्रम बना लिया है। मनुष्य ने सुन्दर धरती के मुख्य तत्वों पर आघात किया, जिसमें उसने जल को दूषित किया, जंगल विनष्ट कर दिये, जमीन को चहुंओर से क्षत-विक्षत कर दिया, वायु को विकृत कर दिया और आकाश तक को भी अपनी महत्वाकांक्षाओं की भेंट चढ़ा दिया। पूरी सृष्टि को मनुष्य ने अपने अहंकार के चलते विनष्ट करना आरम्भ कर दिया। मनुष्य की शक्तियों का उत्पात इतना बढ़ गया कि अब आध्यात्मिक पुरुषों के हाथ से यह बाजी निकलने लगी। ठीक इसी समय प्रकृति ने कोरोना नामक अदृश्य वायरस भेज दिया और मनुष्य की अतुलित शक्तियां तिनकों की भांति इस संसार सागर में तैरती हुई नजर आई। भारत भूमि ने बहुत पहले ही इन सब घटनाओं के बारे में घोषणाएं की थीं, लेकिन भारतीयों ने ही उन घोषणाओं को नेपथ्य में धकेल दिया था। ऋषियों की वाणी सच साबित होने लगी और मनुष्य को अपनी शक्तियों, अपनी सीमाओं का अहसास होने लगा। विज्ञान वास्तव में अच्छा है लेकिन उसकी शक्तियों का दुरुपयोग वास्तव में सृष्टि के लिए विनाशक साबित होगा, बस इतनी सी बात समझ लेना और कर्म आधारित सृष्टि का सम्मान करना ही वह मार्ग है जो हमें अनन्त काल तक जीवनमुक्ति की ओर ले जायेगा। इस भीषण काल में कोराना से लड़ने वाले योद्धाओं का सम्मान और उनकी सेवा करना ही ध्येय है, जिससे हम पूरी मानवता को बचाने में सफल हों। डाॅक्टरों, नर्सों, सभी स्वास्थ्य कर्मियों, सुरक्षा में लगे कर्मियों, सफाई कर्मियों का हृदय से आभार और वन्दन, अभिनन्दन। एक बार फिर से इस युद्ध के लिए हमेे तैयार होना है सावधानी के साथ आगे बढ़े और इस युद्ध में विजयी हों।