मुक्तेश्वर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में है बेहतरीन पर्यटक स्थल मुक्तेश्वर। नैनीताल से 51 किलोमीटर दूर यह जगह कुंमाऊं हिल पर लगभग 7500 फीट ऊंचाई पर है। मुक्तेश्वर का नाम यहां 350 साल पुराने शिव मंदिर श्मुक्तेश्वर धामश् के नाम पर पड़ा। यह मंदिर इस शहर के सबसे ऊंचे स्थान पर है। मंदिर वेटेरिनरी इंस्टीट्यूट के पास है। यहां रॉक क्लाइबिंग व रैपलिंग की भी सुविधा हैए जहां से घाटी का बेहतरीन नजारा दिखाई देता है। मुक्तेश्वर संतों का आवास स्थल रहा है। श्री मुक्तेश्वर महाराज जिनका निवास स्थल मंदिर के पास ही थाए वहां आज इनकी समाधि है। पूरा मंदिर एक तपोवन की तरह है और यह ध्यान के लिए बेहतरीन जगह है।प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य समेटे मुक्तेश्वर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। चौली की जाली से प्राकृतिक नजारे को देखा जा सकता है। यहां से गिद्ध और अन्य पक्षियों की उड़ान और शिकार करते भी देख सकते हैं। देवदार के जंगलए बर्फ की चोटियां और वन्य प्राणियों जैसे बाघ और भालू अनायास दिखाई दे जाते हैं। ये यहां के आकर्षण हैं। मुक्तेश्वर की असली खूबसूरती वहां की प्रकृति में तो है हीए देवदार के जंगलों में बहती हवाओं की आवाज रोमांच पैदा करती है। चिड़ियों की चहचहाहट मन को निर्मल करती है और पर्यटक ध्यानमग्न होकर शांति की तलाश करते हैं।
मुक्तेश्वर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। खासकर हिमालय का खूबसूरत विहंगम दृश्य। यहां भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण मुक्तेश्वर खेती के लिए बेहतर माना जाता है। आलू की खेती के साथ.साथ यहां के हिलसाइड में आर्किड की भी खेती की जाती है। लेखक जिम कार्बेट ने अपनी किताब श्मैन.इटर्रस आफ कुंमाऊंश् के यहां के जंगलों के फायदे और रोमांच के बारे में जिक्र किया है। मुक्तेश्वर में इंडियन वेटेनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट भी देख सकते हैं।