लोकायुक्त के मुद्दे पर सदन में विपक्ष ने किया हंगामा

देहरादून, । उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने लोकायुक्त बिल पर नियम 310 के तहतचर्चा कराने की मांग को लेकर सदन में हंगामा किया। विपक्षी सदस्य इस मांग को लेकर सदन में बेल पर आ गए और नारेबाजी करने लगे। विपक्ष का कहना था कि लोकायुक्त को लागू करने को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। सरकार नहीं चाहती कि प्रदेश में लोकायुक्त का गठन हो। विधानसभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल की इस व्यवस्था पर कि इस मुद्दे को ग्राह्यता के आधार पर नियम-58 के तहत सुन लिया जाएगा पर विपक्ष शांत हुआ और प्रश्नकाल सुचारू रूप से चला।  पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरु होते ही नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा ह्रदयेश, करन माहरा, प्रीतम सिंह, ममता राकेश समेत सभी विपक्षी सदस्यों ने अपने स्थान पर खड़े होकर लोकायुक्त पर नियम-310 के तहत चर्चा कराए जाने की मांग शुरु कर दी। कुछ समय बाद अपनी इस मांग पर जोर देते हुए सभी विपक्षी सदस्य सदन में बेल पर आ गए और नारेबाजी करने लगे। विधानसभा स्पीकर के समझाने पर एक बार विपक्षी सदस्य अपने स्थान पर चले गए, लेकिन इस दौरान सत्ता पक्ष के विधायक मुन्ना सिंह चौहान द्वारा इस विषय पर कोई टिप्पणी किए जाने पर विपक्षी सदस्य फिर बेल पर आ गए और नारेबाजी करने लगे। इस पर संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने कहा विपक्ष का आज एक भी प्रश्न नहीं है, इसलिए वे प्रश्नकाल रोक रहे हैं। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि लोकायुक्त सदन का विषय है और पीठ ग्राह्यता पर इसे सुनने को तैयार है, ऐसे में विपक्ष को प्रश्नकाल में बाधा नहीं डालनी चाहिए। विपक्षी सदस्यों का कहना था कि प्रदेश में लोकायुक्त लागू न किए जाने से भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सरकार ने लोकायुक्त को जान-बूझकर लटका रखा है। सरकार नहीं चाहती कि प्रदेश में लोकायुक्त अस्तित्व में आए। विपक्ष का कहना था कि मुख्यमंत्री जीरो टालरेंस की बात कहते नहीं थक रहे जबकि प्रदेश में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कहीं कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। सरकार को डर है कि यदि प्रदेश में लोकायुक्त लागू हो गया तो फिर सरकार का उजागर होना शुरु हो जाएगा।  स्पीकर द्वारा इस विषय को नियम-58 के तहत सुनने की व्यवस्था दिए जाने के बाद विपक्षी सदस्य शांत हुए। इसके बाद प्रश्नकाल सुचारू रूप से चला। प्रश्नकाल में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने सरकार द्वारा उनके प्रश्नों का संतोषजनक जवाब न दिए जाने पर मंत्रियों को जमकर घेरा और उनकी खूब खिंचाई की। गुरुवार को प्रश्नकाल में सदस्यों के ज्यादातर सवाल विद्यालयी शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और संस्कृत शिक्षा से संबंधित थे। सदस्यों के सवालों का जवाब देने वक्त शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे अपने जवाबों में ही फंसते रहे, जिस कारण सरकार की जमकर किरकिरी हुई। शिक्षा मंत्री द्वारा सदस्यों के सवालों का संतोषजनक जवाब न दिए जाने पर कई विधायकों ने आपत्ति भी उठाई और कहा कि मंत्रियों को तैयारी के साथ सदन में आना चाहिए और सवालों के सही जवाब देने चाहिए। सवाल का सही जवाब न आने से समस्या का हल नहीं हो पाता। मंत्री द्वारा कुछ जवाब दिया जा रहा और जमीनी हकीकत कुछ और है।

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