उत्तराखंड में बेरोजगार होने की कगार पर 6 हजार गेस्ट टीचर!

उत्तराखंड में एक अप्रैल से 6 हजार से ज्यादा गेस्ट टीचर बेरोजगार हो जाएंगे. 6 हजार अतिथि शिक्षकों की नौकरी जाने का मतलब है 6 हजार परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संसकट खड़ा हो सकता है. हालांकि मामला हाईकोर्ट में है, लेकिन मौजूदा सरकार अतिथि शिक्षाकों को लेकर क्या रुख अपनाती है, यह देखना होगा.

दरअसल उत्तराखंड में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए हरीश सरकार ने सरकारी स्कूलों में 6214 अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की थी. लेकिए 1 अप्रैल से यही गेस्ट टीचर बेरोजगार होने जा रहे हैं, जिससे गेस्ट टीचर्स में काफी असंतोष है. रोजगार छिनने को लेकर गेस्ट टीचर्स में ही नहीं उनके परिवारों में भी काफी गुस्सा है.

दरअसल हरीश सरकार ने शिक्षा की दशा सुधारने के लिए स्कूलों में छात्रों के भविष्य को देखते हुए गेस्ट टीचरों की नियुक्ति तो की, लेकिन आजतक छात्रों के भविष्य सुधा रहे इन गेस्ट टीचरों का भविष्य अधर में लटका हुआ नजर आ रहा है.

हालांकि नैनीताल हाईकार्ट की एक बेंच ने गेस्ट टीचरों की नियुक्ति को असंवैधानिक करार दिया था. जिसके तहत कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि 31 मार्च तक ही गेस्ट टीचर स्कूलों में अपनी सेवाएं दे सकते हैं. कोर्ट के आदेश के सामने शिक्षा विभाग भी लाचार नजर आ रहा है और गेस्ट टीचरों को उनही के हाल पर छोड दिया है.

माध्यमिक शिक्षा निदेशक आरके कुंवर का कहना कि कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए गेस्ट टीचर की सेवाएं 31 मार्च के बाद समाप्त की जा रही हैं. आगे जो भी फैसला कोर्ट का होगा उसके हिसाब से विभाग आगे बढेगा. हालांकि गेस्ट टीचर्स का मामला अभी हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच के सामने विचाराधीन है. लेकिन क्या एक अप्रैल से आगे अतिथि शिक्षकों को राहत मिलेगी, यह देखना होगा.

एक तरफ 1 अप्रैल से गेस्ट टीचर कोर्ट के आदेश के बाद अपनी सेवाएं देना स्कूलों में बंद कर देंगे, वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों के रियाटयरमेंट होने के चलते हाईस्कूल और इंटर कॉलेज में करीब 9000 हजार शिक्षकों के पद खाली हो जाएंगे. ऐसे में सवाल ये उठता है कि शिक्षा विभाग कैसे स्कूलों में कम समय में शिक्षक की कमी को पूरा करेगा.

ऐसा पहले पिछले साल भी गेस्ट टीचरों के सामने राष्ट्रपति शासन के दौरान यह नौबत आई थी. लेकिन बाद में सरकार आते ही 31 मार्च तक गेस्ट शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश सरकार ने जारी कर दिए थे. लेकिन अब कोर्ट के आदेश के बाद सरकार और विभाग के पास इसको लेकर कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है, लेकिन मामले में खुद ही गेस्ट टीचर कोर्ट में डबल बेंच पर जाने की बात कर रहे हैं.

वहीं हरीश रावत सरकार में जब गेस्ट टीचर अपनी मांगों को लेकर लड़ रहे थे तो विपक्ष के नाते बीजेपी ने हरीश रावत की सरकार पर गेस्ट टीचरों के बहाने खूब हमले किए थे. लेकिन अब समय बदल गया है और सरकार बीजेपी की आ गई है. ऐसे में गेस्ट टीचरों को बीजेपी सरकार से काफी उम्मीदें हैं कि बीजेपी सरकार कोर्ट में उनकी लड़ाई लड़ेगी और उन्हें न्याय दिलाएगी.

गेस्ट टीचर एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री कविंद्र कैंतुरा का कहना है कि सरकार ने अगर उनका साथ न दिया तो उनके सामने रोजी रोटी का संकट खाड़ा हो जाएगा. कैंतुरा ने कहा कि अगर गेस्ट टीचर्स को न्याय न मिला तो जल्दी उन्हें आंदोलने शुरू करना पड़ेगा.

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