मानवाधिकार आयोग का नोटिस
देहरादून, । काशींपुर जिले के लिये उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग में की गयी शिकायत पर कार्यवाही करते हुये उत्तराखण्ड मानवाधिकार आयोग ने कार्यवाही शुरू कर दी है। सुनवाई की तिथि निर्घारित 26 जुलाई को शिकायतकर्ता नदीम उद्दीन की शिकायत पर विचार करते हुये आयोग के अघ्यक्ष न्यायमूर्ति वीरेन्द्र जैन ने जिलाधिकारी उधमसिंह नगर को चार सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट आयोग को भेजने के लिये नोटिस जारी किया है। इस शिकायत पर अगली सुनवाई की तिथि 04 अक्तूबर 2016 निर्धारित की गयी है।प्रतिष्ठित समाज सेवी संस्था माकाक्स की ओर से नदीम उद्दीन द्वारा भेजी गयी मानवाधिकार हनन की शिकायत में काशीपुर नगर वासियों के देश आजाद होने के समय से ही जिला मुख्यालय की सुविधाओं के पात्र होते हुये भी उन्हें इनसे वंछित रखकर समानता व जीवन के मानवाधिकार हनन का सरकारों पर आरोप लगाया गया है। शिकायत में कहा गया हैै कि काशीपुर के सवा लाख से अधिक लोगों का यह मानवाधिकार हनन अभी भी जारी है। इस शिकायत को शिकायत सं. 822/2016 के रूप में दर्ज करनेे के बाद इस पर आयोग द्वारा कार्यवाही की गयी है।श्री नदीम की शिकायत के अनुसार काशीपुर उस समय से जिला मुख्यालय बनने का पात्र है जब उत्तराखंड प्रदेश के क्षेत्र में मात्र 4 जिला मुख्यालय देहरादून, पौड़ी गढ़वाल, नैनीताल तथा अल्मोड़ा थे। सबसे पहले 1949 में काशीपुर वासियों से असमानता करते हुये टिहरी गढ़वाल को जिला मुख्यालय बनाया गया है। 1960 मे फिर उत्तरकाशी, चमोली, बागेश्वर तथा पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय बनाये गये जबकि काशीपुर तब भी जिला मुख्यालय बनने का अधिक पात्र था। 1988 में हरिद्वार को जिला मुख्यालय बनाया गया तथा 1997 में रूद्रप्रयाग, बागेश्वर, चम्पावत तथा रूद्रपुर को जिला मुख्यालय बनाया गया जबकि काशीपुर की अपेक्षा यह नगर जिला मुख्यालय बनने के पात्र नहीं थे। ऐसा करके काशीपुर वासियों के साथ असमान व्यवहार करके समानता के मानवाधिकार का हनन किया गया जोे अभी भी जारी है।