भीख मांगना या देना पड़ेगा भारी, हो सकती है पांच साल की सजा

देहरादून : उत्तराखंड में भीख मांगने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। समाज कल्याण विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। सरकार ने उत्तर प्रदेश भिक्षावृत्ति प्रतिषेध अधिनियम 1975 की धाराओं में संशोधन किया है। इसके साथ ही उत्तराखंड अब उन अन्य 20 राज्यों और दो संघ शासित प्रदेशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने भीख पर प्रतिबंध लगाया है।

अब सार्वजनिक स्थलों पर भीख मांगते या देते हुए पकड़े जाने पर यह अपराध की श्रेणी में होगा और इसमें बगैर वारंट के गिरफ्तारी हो सकेगी। अधिनियम में अपराध साबित होने पर जुर्माने के साथ एक से तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।

दूसरी बार अपराध सिद्ध होने पर सजा की अवधि पांच साल तक हो सकती है। निजी स्थलों पर भिक्षावृत्ति की लिखित और मौखिक शिकायत पर अधिनियम की धाराओं के तहत कार्रवाई होगी। किशोर न्याय अधिनियम के तहत अभी तक 14 साल तक के बच्चों से भिक्षावृत्ति को संज्ञेय अपराध माना गया था और इस पर पूरी तरह से रोक थी, लेकिन अब सभी उम्र के लोगों पर सार्वजनिक स्थलों में भीख मांगने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है।

2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में 274 बच्चों सहित करीब तीन हजार भिखारी हैं। हालांकि देश के कई अन्य राज्यों ने भीख मांगने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद से बीते वर्षों में उत्तराखंड में भिखारियों की संख्या में वृद्धि हुई है।

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