पोखरण में परमाणु परीक्षण कर इंदिरा गांधी ने चौंका था दिया था पूरी दुनिया को
नई दिल्ली: 18 मई 1974 को उस दिन बुद्ध जयंती थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उस दिन एक फोन का इंतजार कर रही थीं. उनके पास एक वैज्ञानिक का फोन आता है और वह कहते हैं “बुद्ध मुस्कराए”. इस संदेश का मतलब था कि भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण कर दिया है जो सफल रहा. इसके बाद दुनिया में भारत पहला ऐसा देश बन गया था जिसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य न होते हुए भी परमाणु परीक्षण करने का साहस किया है. यह वह दौर था जब भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी चरम पर थी.
70 के इसी दशक में भारत ने पाकिस्तान को हराकर बांग्लादेश बनाने में मदद की थी और अमेरिका का पलड़ा पाकिस्तान के लिए ज्यादा झुका रहता था. इसकी वजह यह भी थी कि अमेरिका सोवियत संघ के खिलाफ पाकिस्तान के एयरबेस का इस्तेमाल कर रहा था. दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत अब भी गुटनिरपेक्ष देश बना हुआ था. अमेरिका इससे भी नाराज था. वह चाहता था कि भारत उसका हर बात पर समर्थन करे.
इतना ही नहीं चीन भी उस समय भी पाकिस्तान के साथ ही था. यानी पाकिस्तान के समर्थन में उस समय दुनिया दो बड़े देश खड़े थे लेकिन भारत ने इन परिस्थितियों का बहादुरी सामना किया और सुरक्षा को लेकर देश के अंदर भी आवाज उठ रही थी.शक्ति संतुलन के लिए भारत को परमाणु क्षमता हासिल करना बेहद जरूरी हो गया था. लोगों का कहना था कि भारत के पास ये ताकत होगी तो वह दुनिया में सशक्त देशों के बीच आ जाएगा.
PTBT बना राह में रोड़ा
इससे परीक्षण से पहले राह में कई रोड़े आ गए. पहले तो IAEC के चेयरमैन और देश के सबसे बड़े वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का निधन हो गया. उनकी जगह होमी सेठना को लाया गया. लेकिन एक बाधा और आ गई. भारत ने PTBT नाम के एक समझौते पर हस्ताक्षर कर रखा था जिसके मुताबिक कोई भी देश इस समझौते के तहत वातावरण में परमाणु परीक्षण नहीं कर सकता था. समझौते में वातावरण का मतलब आसमान, पानी के अंदर, समुद्र शामिल था. तब भारत ने इस परीक्षण को जमीन के अंदर करने का निर्णय लिया.
किसी को नहीं थी कानों कान खबर
इस पूरे अभियान को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिक राजा रमन्ना ने अपनी आत्मकथा ‘इयर्स ऑफ पिलग्रिमिज’ में लिखा है कि इस पूरे ऑपरेशन के बारे में पीएम इंदिरा गांधी के अलावा, मुख्य सचिव पीएन हक्सर, पीएन धर, वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. नाग चौधरी और एटॉमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन एच. एन. सेठना और खुद राजा रमन्ना को ही जानकारी थी. कुछ लोगों का दावा है कि रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम को भी ऑपरेशन सफल होने के बाद ही जानकारी हो पाई थी.
कैसा था बम और कब हुआ विस्फोट
परमाणु बम का व्यास 1.25 मीटर और वजन 1400 किलो था. सेना इसको बालू में छिपाकर लाई थी. सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर यह राजस्थान के पोखरण में विस्फोट किया था. बताया जाता है कि 8 से 10 किमी इलाके में धरती हिल गई थी.