ढाई करोड़ खर्च फिर भी केदारनाथ की वैकल्पिक राह में बाधा
रुद्रप्रयाग : जून 2013 की केदारनाथ त्रासदी के बाद रुद्रप्रयाग जिले के आपदा प्रबंधन से जुड़े विभाग कितने सचेत हुए, इसका अंदाजा केदारनाथ के लिए बने दो वैकल्पिक मार्गों की दशा देखकर लगाया जा सकता है। चार वर्ष पूर्व आई भीषण आपदा में मुख्य पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण अधिकांश यात्री जंगलों में भटक कर काल कवलित हो गए थे।
इसी को देखते हुए सरकार ने धाम के लिए दो वैकल्पिक मार्ग बनाने का निर्णय लिया। ताकि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति होने पर यात्रियों को सुरक्षित निकाला जा सके। इन मार्गों की दशा सुधारने का जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई। लेकिन, ढाई करोड़ की धनराशि खर्च करने के बाद भी ये मार्ग आवाजाही लायक नहीं बन पाए। हालांकि, यह बात अलग है कि वन विभाग बरसात में मार्ग क्षतिग्रस्त होने की बात कह कर मरम्मतीकरण के लिए सरकार से दोबारा बजट मांग रहा है।
केदारनाथ के लिए मुख्य रूप से पैदल मार्ग गौरीकुंड से होकर जाता है, जो आपदा से पूर्व तक मंदाकिनी नदी के किनारे-किनारे केदारनाथ तक पहुंचता था। इसके अलावा पुराने समय से ही त्रियुगीनारायण व चौमासी से भी केदारनाथ जाने के ट्रैक हैं, लेकिन दशा ठीक न होने से उन पर आवाजाही नहीं होती। 2013 की आपदा में अधिकांश यात्रियों की मौत इसलिए हो गई कि मुख्य मार्ग क्षतिग्रस्त होने के बाद उनके पास वापस लौटने का कोई रास्ता नहीं था।
इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने चौमासी व त्रियुगीनारायण से केदारनाथ के लिए दो वैकल्पिक मार्गों के निर्माण की स्वीकृति दी थी। यह मार्ग प्रतिबंधित वन क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, इसलिए इनके निर्माण का जिम्मा वन विभाग को सौंपा गया। वन विभाग ने इनका निर्माण तो किया, लेकिन मार्ग चलने लायक नहीं बने। जो पुस्ते लगाये गए थे, अब तो वह भी क्षतिग्रस्त हो चुके है।
वन विभाग ने इन दोनों मार्गों के निर्माण में लगभग ढाई करोड़ रुपये खर्च किए। चौमासी से केदारनाथ की पैदल दूरी लगभग 14 किमी है, जबकि त्रियुगीनारायण से 24 किमी। दोनों मार्ग केदारनाथ में आपदा की आशंका के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वन विभाग इनके प्रति लापरवाह बना है। साथ ही सरकार ने जिस उद्देश्य से ये पैदल बनाए थे, वह भी सफल नहीं हो पा रहा। अब वन विभाग अपनी नाकामी छुपाने के लिए बारिश से मार्ग क्षतिग्रस्त होने की बात कह रहा है।
वहीं, केदारनाथ विधायक मनोज रावत पूर्ववर्ती सरकार ने केदारनाथ के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए, लेकिन अब इस दिशा में कार्य नहीं हो रहा। इससे धाम में यात्रियों की सुरक्षा, रहने-खाने आदि व्यवस्थाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। वैकल्पिक मार्ग पूर्ववर्ती सरकार ने केदारनाथ में आपदा प्रबंधन के दृष्टिगत बनाए थे।
केदारनाथ वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी नीतू लक्ष्मी का कहना है कि बारिश के कारण दोनों वैकल्पिक मार्गों के पुश्ते टूट गए हैं। इनकी दोबारा मरम्मत के लिए शासन से धनराशि मांगी गई है। इसी के बाद कार्य शुरू हो सकेगा