किशोर ने कहा पूर्व मुख्यमंत्रियों की संपत्ति की जांच की जाये
देहरादून,। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने राज्य बनने के बाद से अब तक भ्रष्टाचार के मामलों की न्यायिक जांच कराने की मांग को एक बार फिर से दोहराया है। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री हरीश रावत को एक पत्र लिखा है। उन्होंने जांच आयोग की सिफारिश को सार्वजनिक करने की मांग की।
कांग्रेस भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में किशोर उपाध्याय ने कहा कि राज्य बनने के बाद अब तक के पूर्व मुख्यमंत्रियों की संपत्ति की जांच भी की जाए। प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री हरीश रावत को पत्र लिखकर उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार एवं घोटालों से सम्बन्धित विभिन्न मामलों में कार्रवाई की मांग की है। मुख्यमंत्री हरीश रावत को लिखे पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी महात्मा गांधी के पद चिन्हों का अनुसरण करने वाली पार्टी होने के साथ-साथ हम कांग्रेस पार्टी के लोग अपने को उनकी विरासत का वाहक और हकदार मानते हैं। आमजन का मानना है कि जो राजनीतिक पार्टी महात्मा गांधी द्वारा दिखाये जाने वाले मार्ग पर चलने वाली पार्टी हो वह समाज में पनप रहे भ्रष्टाचार को कैसे बर्दास्त कर सकती है। उत्तराखण्ड की इस देवभूमि में राज्य गठन से लेकर अब तक के 16 वर्षों के अल्पकाल में घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार के मामलों के लगातार प्रकाश आने से कहीं न कहीं इस देवभूमि की छबि धूमिल हो रही है। राज्य के प्रबुद्धजनों एवं समाज के विभिन्न वर्गों से लगातार बातें उभर कर आ रही हैं कि राज्य में संवैधानिक संस्थाओं का समुचित रूप से गठन न होने के कारण भ्रष्टाचार पर प्रभावी ढंग से अंकुश नहीं लग पा रहा है। राज्य में लोकायुक्त संस्था का गठन भी नहीं हुआ है। भारतीय जनता पार्टी ने इस विषय को राज्य में बड़ा मुद्दा बना रखा है। मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में हो रहे विलम्ब के कारण भी इन संवैधानिक संस्थाओं के गठन के उद्देश्य की प्राप्ति नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में समय-समय पर भ्रष्टाचार एंव घोटालो के जो मामले उजागर हुए हैं उनके सम्बन्ध में राष्ट्रपति शासन के दौरान 18 अप्रैल को उन्होंने और सीएम ने संयुक्त रूप से राज्यपाल से ज्ञापन के माध्यम से आग्रह किया था कि राज्य गठन 9 नवम्बर 2000 से अब तक भ्रष्टाचार या घोटालो के जितने भी मामले संज्ञान में आये हैं उन सबकी जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के माध्यम से कराई जानी चाहिए। राज्य में अब कांग्रेस की सरकार है और हमारी सरकार को इस सम्बन्ध में समय रहते ठोस निर्णय लेकर उपरोक्त अवधि के भ्रष्टाचार और घोटालो के मामलों की जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को सौंप कर राज्य की जनता के सामने सुचिता का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। उत्तराखण्ड राज्य की सीमा के अन्तर्गत सन् 1990 से लेकर अब तक जिन संस्थाओं या व्यक्तियों को राज्य सरकार अथवा ग्राम समाज की भूमि आवंटित की गई है, उनका विवरण सार्वजनिक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में कई प्रकरण हैं जिन्हें औने-पौने दामों में सरकारी अथवा ग्राम पंचायत की भूमि आवंटित हुई है। इस प्रकार न्यूनतम मूल्य या निःशुल्क रूप से आंवटित भूमि जिस उद्देश्य के लिए आवंटित हुई थी उसका उपयोग उस कार्य के लिए यदि नहीं किया जा रहा है या आवंटित भूमि खुर्द-बुर्द की जा चुकी है तो ऐसे सभी प्रकरणों की छानबीन के उपरान्त शर्ताे का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं या व्यक्तियों को आंवटित भूमि राज्य सरकार में निहित की जानी चाहिए।