आपदा के जख्म 3 साल बाद भी हरे
रुद्रप्रयाग। 16 व 17 जून 2013 को केदारनाथ में आई विनाशकारी आपदा के तीन साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने आपदा पीड़ितों के जख्मों को अभी तक नहीं भरा और निर्माण कार्य के नाम पर घोटालों के सिवाय कुछ नहीं किया। सरकार ने निर्माण कार्य में जहां अपना फायदा समझा, उसी कार्य को बाहरी एजेन्सी को दिया और जिले के आपदा प्रभावितों को निर्माण कार्य में भी कोई राहत नहीं दी। केदारनाथ आपदा के नाम पर अरबो रूपये के निर्माण कार्य हुये हैं और बाहरी ठेकेदारों को निर्माण कार्य दिया गया। गौरीकुंड के पूर्व प्रधान एवं सामाजिक कार्यकर्ता मायाराम गोस्वामी ने रोष व्यक्त करते हुये कहा कि केदारनाथ दैवीय आपदा के तीन साल बीत जाने के बाद भी केदारनाथ एवं गौरीकुंड की स्थितियों में कोई सुधार नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि केदार यात्रा का मुख्य पड़ाव गौरीकुंड की स्थिति अभी भी ज्यूं की त्यं बनी हुई है और स्थानीय लोग भय के साये में जीवन जीने को मजबूर हैं। श्री गोस्वामी ने कहा कि गौरीकुंड से केदारनाथ पैदल मार्ग पर प्रशासन ने तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिये दुकानों का निर्माण किया है, लेकिन इसका फायदा भी स्थानीय आपदा प्रभावितों को नहीं मिला है। प्रशासन ने दुकानों का आवंटन हर वर्ष लाटरी के द्वारा किया हुआ है और इन्हीं दुकानों के आस-पास गढ़वाल मंडल विकास निगम की दुकानें भी आवंटित की गई हैं, जिससे प्रशासन द्वारा लाटरी के द्वारा खोली हुई दुकानों से स्थानीय लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। श्री गोस्वामी ने कहा कि पैदल मार्ग पर बनाई गई दुकानें लाटरी से नहीं खुलनी चाहिए। स्थानीय आपदा प्रभावितों को, जिनकी दुकानें केदारनाथ त्रासदी में बही हैं, उन्हें स्थाई तौर पर दी जाय। उन्होंने कहा कि छह माह के सीजन में दो माह के व्यापार में जिन्हें दुकानें आवंटित हुई हैं, उन्हें काफी घाटा उठाना पड़ रहा है। पूर्व प्रधान मायाराम गोस्वामी ने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार को तीर्थ यात्रियों एवं स्थानीय जनता की दिक्कतों को देखते हुये गौरीकुंड से केदारनाथ मोटरमार्ग का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोटरमार्ग निर्माण से हवाई सेवाओं पर भी रोक लगेगी और स्थानीय लोगों को इसका लाभ मिलेगा। श्री गोस्वामी ने कहा कि गौरीकुंड से केदारनाथ धाम में हुये निर्माण कार्यों की सीबीआई जांच होनी चाहिए। निर्माण के नाम पर राज्य सरकार ने अरबो रूपये के वारे-न्यारे किये गये और स्वजांच में हुये करोड़ों के घोटाले की भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आपदा के नाम पर ऐसे लोगों को लाभ पहुंचाया गया, जिनका यात्रा व्यवस्था से कोई लेना देना नहीं रहा और जिनका वास्तविक नुकसान हुआ, वे आज भी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि आपदा में सही लोगों का आंकलन नहीं हुआ और राजनीति में ऊंची पहुंच रखने वालों के चहेतों को ही लाभ मिला है।