आपका दिल कही धोखा ना दे आपको
रंजन की आयु चालीस वर्ष है। वह एक प्राइवेट कंपनी में प्रबंधक के रूप में कार्यरत है। उसकी दिनचर्या बहुत ही अनियमित है। उनका पूरा दिन बहुत व्यस्त होता है साथ ही वह अक्सर देर रात तक काम करता रहता है, इतनी देर तक उसके साथी होते हैं कॉफी और सिगरेट। अपनी इस अस्वास्थ्यकर दिनचर्या का नुकसान उसे तब पता चला जबकि पिछले दिनों हृदय के आघात के कारण उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।दिल हमारे शरीर का वह अंग है जो हर समय काम करता रहता है। भारतीय पुरुषों में दिल की बीमारी की संभावना बढ़ती जा रही है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों को जल्दी ही, लगभग 27−28 वर्ष की उम्र से ही दिल की बीमारी का अंदेशा होने लगा है। हृदय रोगों का मुख्य कारण है कोलेस्ट्रोल के स्तर में वृद्धि। विशेषज्ञों के अनुसार कोलेस्ट्रोल के अणुओं का आकार भी दिल के रोगों की संभावना बढ़ाता है। यदि हाइ डेन्सिटी लिपोप्रोटीन का आकार छोटा है तो वे कम प्रभावशाली होते हैं। एचडीएल अच्छा कोलेस्ट्रोल माना जाता है क्योंकि यह हृदय की रक्तवाहिनियों से कोलेस्ट्रोल बाहर लाता है। यदि लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन अणुओं का आकार छोटा है तो उनके रक्तवाहिनियों में जमने की संभावना बढ़ जाती है।रक्त नलिकाओं की भीतरी दीवारों पर बुरे कोलेस्ट्राल का जमना अथेरोस्टकलेरोसिस कहलाता है। इसके कारण रक्त वाहिनियां संकरी हो जाती हैं और हृदय को रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है।मोटापा भी दिल की बीमारियों को खुला निमन्त्रण है। वजन घटाने के लिए नियमित व्यायाम तथा सीमित मात्रा में साधारण भोजन सबसे अच्छा उपाय है। परन्तु वजन घटाने के लिए भूखे रहने तथा उल्टे−सीधे नुस्खों का चयन नहीं करना चाहिए इससे दिल पर बुरा असर पड़ता है। बढ़ती आयु के साथ−साथ कसरत करना जरूरी होता जाता है जिसमें सुबह−शाम की सैर और हल्के−फुल्के व्यायाम को शामिल किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार व्यायाम न करना दिल के लिए उतना ही घातक है जितना कि धूम्रपान करना। व्यायाम से दिल की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और वह कमजोर नहीं पड़ता। इसके अतिरिक्त लगातार चलते रहने से हाथ−पैरों की धमनियां स्वस्थ रहती हैं जिससे शरीर में रक्त परिसंचरण ठीक से होता है।