योगी के कड़े फैसले
उत्तर प्रदेश में विपक्षी दल के नेता, विशेषकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सुश्री मायावती भाजपा की योगी सरकार पर आरोप लगाती है। कभी संवेदनहीन बताया जाता है तो कभी कहा जाता है कि भाजपा अपने लाभ के लिए पिछड़ों को छल रही है। इस प्रकार के आरोपों के बीच योगी आदित्यनाथ के लगभग सवा साल के कार्यकाल को देखें तो उसके प्रयास साफतौर पर दिखते हैं। योजनाओं को लागू करने की जिम्मेदारी अधिकारियों और कर्मचारियों पर होती है। अधिकारी और कर्मचारी जब जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पाते तो उनको दण्डित भी किया जाता है। सरकार किसानों की आय को २०२० तक दोगुना करने का लक्ष्य बनाकर चल रही है इसलिए खरीफ की मुख्य फसल धान का खरीद मूल्य भी घोषित कर दिया गया और यह भी कहा गया है कि धान को खरीदने के बाद ७२ घंटे के अंदर उसका भुगतान प्राप्त हो जाएगा। सरकार ने अपने कर्तव्य को ठीक से पालन न करने वाले अधिकारियों को दण्डित भी किया है। अभीहाल में ही अपराध और कानून-व्यवस्था में ढिलाई पर तीन जिलों के पुलिस अधीक्षकों और आगरा व इलाहाबाद रेंज के आईजी को हटा दिया गया है। किसी भी सरकार के पास जादू की छड़ी नहीं होती है लेकिन सरकार अगर अच्छे प्रयास कर रही है तो उसे प्रोत्साहन भी मिलना चाहिए।
किसानों के हित में कार्य करने की प्रतिबद्धता योगी सरकार की शुरू से रही है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के समय संकल्प पत्र में यह वादा किया था कि किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। यह कहना जितना आसान होता है, उस पर अमल करना उतना ही मुश्किल होता है। उत्तर प्रदेश में तो लगभग ७० फीसद जनता प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से कृषि एवं कृषि से जुड़े उद्योगों पर निर्भर है। प्रदेश में कुल खेती (जोत) लगभग २ करोड़ ३३ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है। इनमें लघु एवं सीमांत किसानों की जोत २ करोड़ १६ लाख हेक्टेयर है। इन किसानों की आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में २०१७ में जब सरकार बनी तो लोक कल्याण संकल्प पत्र में किये गये वादे के अनुसार कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गये। प्रदेश सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ही किसानों के कर्ज माफी की घोषणा कर दी गयी थी। मुख्यमंत्री श्री योगी ने यह घोषणा तब की थी जब केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साफ-साफ कह दिया था कि राज्य सरकारें किसानों का कर्ज माफ करती है तो इसके लिए उन्हें स्वयं के संसाधन से धन जुटाना होगा।
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपने पहले ही बजट में कृषि एवं सम्बद्ध कार्यों के लिए ६७ हजार ६८२ करोड़ ६१ लाख रुपये का बजट रखा था। सबसे बड़ा काम किसानों का कर्ज माफ करना था। इसलिए प्रदेश सरकार ने लघु एवं सीमांत किसानों को राहत देने के लिए फसल ऋण मोचन योजना का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। इसके अन्तर्गत किसानों को कृषि के लिए आवश्यक सुविधा प्रदान करने का प्रयास किया गया। सरकार को ३६ हजार करोड़ रुपया इस मद में खर्च करना पड़ा। लघु एवं सीमांत किसानों को इससे काफी मदद मिली है और उनकी आर्थिक स्थिति सुधरने के साथ ही कृषि कार्य को बढ़ावा दिया गया है। किसानों के ऋण खाते को आधार कार्ड से लिंक कराया गया ताकि इस सुविधा का लाभ बिचौलिये न उठा पायें। इस योजना के क्रियान्वयन के तीन चरण रखे गये थे। पहले चरण में ऐसे किसानों को प्राथमिकता दी गयी जिन्होंने फसली ऋण खातों को आधार कार्ड से लिंक कराया। खातों के आधार कार्ड से जुड़ जाने पर जिला समिति ने अनुमोदन किया और लाभार्थी के ऋण खाते में सीधे भुगतान पहुंच गया। दूसरे चरण में उन किसानों के बैंक फसली ऋण खाते आधार कार्ड से लिंक कराये गये। किसानों ने बैंक शाखा में अपने खाते को आधार से लिंक कराया और इसके बाद ऋण का भुगतान सीधे उनके खाते में चला गया। तीसरे चरण में उन किसानों को रखा गया था जिनका सत्यापन जिला स्तरीय समिति को करना था। समिति ने सत्यापन करके अनुमोदन किया और ऋण भुगतान की राशि किसान के खाते में पहुंच गयी।
ये सभी कार्य बहुत ही व्यवस्थित ढंग से हुए और बिचौलियों को पैसा हड़पने का कोई अवसर नहीं मिला। पूर्व की सरकारों में इस प्रकार की पारदर्शिता नहीं थी और किसानों तक सरकारी योजना का पूरा लाभ नहीं पहुंचता था। गन्ना किसानों के लिए भी विपक्षी दल हंगामा करते हैं लेकिन सच्चाई यह है पूर्व की सरकारों ने गन्ना किसानों के भुगतान का सार्थक प्रयास ही नहीं किया। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने २०१८ के पेराई वर्ष में २२५१७.५२ करोड़ रुपये बकाये का भुगतान कराया है जो गत वर्ष अर्थात् २०१७ की तुलना में ९२७५ करोड़ रुपये ज्यादा है। यह सच है कि किसानों की चीनी मिलों पर अभी काफी रुपये बकाया हैं लेकिन योगी की सरकार ने इस दिशा में ठोस प्रयास किये हैं और चीनी मिलों को केन्द्र सरकार से आर्थिक पैकेज दिलवाने में भी श्री योगी को सफलता मिली है।
अब धान के लिए भी योगी सरकार ने ठोस योजना बना दी है। प्रदेश में धान की सरकारी खरीद में पंजाब और छत्तीसगढ़ की तरह केन्द्रीकृत भुगतान प्रणाली लागू होगी। पंजाब नेशनल बैंक के माध्यम से पूरे प्रदेश में इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारियों से इस बाबत कई दौर की बातचीत के बाद केन्द्रीकृत भुगतान प्रणाली लागू करने की बात तय हुई है। भुगतान की इस नई व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभ यह मिलेगा कि सरकारी खरीद के ७२ घंटे के अंदर ही किसान को भुगतान आन लाइन प्राप्त हो जाएगा। योगी की सरकार ने किसानों को बिजली कनेक्शन भी सुगमता से मिलने की प्रक्रिया को शुरू करने का निर्णय लिया है। इससे पूर्व स्टीमेंट के साथ फीस जमा करने के बाद सूची में नाम शामिल होता था, अब इसे बदलते हुए १०० रुपये प्रोसेसिंग फीस जमा कर देने से ही प्राथमिकता सूची में नाम शामिल हो जाएगा।
किसानों के लिए बेहतर योजनाओं के साथ ही श्री योगी प्रदेश में अमृत योजना को और बेहतर ढंग से लागू करना चाहते हैं। अमृत योजना में शहरों को सजाने-संवारने के साथ पानी की बेहतर आपूर्ति के अलावा सीवर का कनेक्शन दिया जाएगा। इस योजना में अच्छा काम करने वाले निकायों को प्रोत्साहन भी
मिलेगा। गांव और शहर दोनों के लिए इस प्रकार के प्रयास हो रहे हैं तो विपक्षी दलों की आलोचना का प्रयोजन क्या रह जाता है।