येदियुरप्पा ने ली 25 वे मुख्यमंत्री पद की शपथ
बेंगलुरू। कांग्रेस और जनता दल(एस) के भारी विरोध के बीच भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा को राज्यपाल वजूभाई वाला ने राजभवन में कर्नाटक के 25वें मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। राज्यपाल वजुभाई वाला की ओर से भाजपा के बीएस येद्दयुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए हामी भरने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने रात 9 बजे के करीब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और इस मामले में तुरंत सुनवाई की अपील की। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए देर रात ही जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोबड़े की तीन जजों वाली बेंच गठित कर सुनवाई का आदेश दे दिया। सुनवाई रात के 1ः45 बजे से शुरू होकर करीब 5ः30 बजे तक चली। इस सब के बीच यदियुरप्पा ने तय समय पर मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की।घटना क्रम की शुरुआज एक ट्वीड से हुई। कर्नाटक भाजपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से 16 मई शाम 8 बजकर 31 मिनट पर एक ट्वीट किया गया, जिसमें यह बताया गया कि बीएस येदियुरप्पा सुबह 9ः30 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। हालांकि, इस ट्वीट को तुरंत डिलीट कर लिया गया। इसके कुछ देर बाद कर्नाटक राज भवन की ओर से राज्यपाल वजुभाई वाला के हस्ताक्षर वाला वह पत्र जारी कर दिया गया, जिसमें उन्होंने भाजपा (104 सीट) को सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए निमंत्रण दिया। इसके बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण के बात की पुष्टि की। उधर, कांग्रेस और जेडीएस के एक प्रतिनिधि मंडल ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार से मिलकर एक अर्जी दाखिल की, जिसमें बीएस येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की मांग की गई। कांग्रेस और जेडीएस की इस अर्जी को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने स्वीकार करते हुए जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोबड़े की तीन जजों वाली बेंच गठित कर सुनवाई का आदेश दे दिया। सुनवाई देर रात 1 बजकर 45 मिनट पर शुरू हुई और सुबह 5.30 बजे तक चली। कांग्रेस और जेडीएस की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले के विरोध में सरकारिया कमिशन, गोवा विधानसभा चुनाव, झारखंड विधानसभा चुनाव और मेघालय विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए बीएस येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की मांग की।
बीएस येदियुरप्पा और भाजपा की ओर से पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति और राज्यपाल के फैसले को किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है। कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने अपने विवेक के आधार पर फैसला लेते हुए सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का दावा पेश करने की अनुमति दी है।