यक्ष प्रश्न : भाजपा का बड़ा दांव क्या होगा कामयाब
लखनऊ। कल भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल ने काम न करने वाले सांसदों की टिकट काटे जाने की बाॅत की थी। अब आज यह चर्चा चली कि उत्तर प्रदेश से ही लगभग 20-24 सांसदों के टिकट कट सकते है। ऐसे में एक अनुमान अब यह लगाया जा रहा है कि पूरे देश में लगभग सौ सिटिंग सांसदों के टिकट काट कर भाजपा अन्य दलों से भाजपा में शामिल होने वाले कद्दावर नेताओं पर दाव लगा सकती है। भाारतीय जनता पार्टी में संगठन के कार्यक्रमों में रुचि न लेकर पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाले दो दर्जन से अधिक सांसदों के टिकटों पर इस बार तलवार लटक रही है। यहीं नहीं वे सांसद भी पार्टी नेतृत्व के राडार पर हैं, जो अपने क्षेत्र सक्रिय नहीं रहे। ऐसे भी सांसद हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र में विकास के काम कराना तो दूर सांसद निधि का भी पूरा उपयोग नहीं किया है। विभिन्न कार्यक्रमों में निष्क्रिय रहे ये सांसदभाजपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ लोकसभा चुनाव 2019 के लिए वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव की तरह 73 से ज्यादा सीटें हासिल करने का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पार्टी ने चुनाव के एक साल रहते ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। इन तैयारियों के तहत उसने अंबेडकर जयंती 14 अप्रैल से लेकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती तक और उसके बाद महात्मा गांधी की 150 वी जयंती तक कई कार्यक्रम तय किए। इसमें सांसदों को ग्राम चैपाल लगाने, अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में पिछड़ों, दलितों और किसानों के सम्मेलन करने, बूथ स्तर की कमेटियों के पुनर्गठन,सदस्यता अभियान, व मतदाता पुनरीक्षण अभियान के कार्यक्रम शामिल थे। इन कार्यक्रमों में रुचि न लेने की सांसदों की शिकायत पार्टी के जिला संगठन ने पार्टी नेतृत्व से की है। ऐसे सांसदों पर रखी जा रही है चार साल से निगरानीपार्टी नेतृत्व वर्ष 2014 के बाद से ही अपने सभी सांसदों के क्रियाकलापों पर नजर रखे हुए है। इसका परिणाम जाॅच से पहले ही सामने है। इन सांसदों द्वारा गोद लिए गाॅवों के विकास को देखकर ही इन्हें फेल कर दिया जाएगा बाकी रहा कार्यक्रमों की बाॅत तो भाजपा सांसद वैसे भी क्षेत्र की जनता से दूर ही देखे गए है। इस दौरान पार्टी लाइन से अलग विरोध का झंडा खड़ा करने वाले सांसद भी चिन्हित कर लिए गए। साथ ही संगठन द्वारा दिए गए कामों को नजरंदाज करने वाले सांसद पर भी नजर रखी गई। संगठन स्तर पर इसकी एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसमें इन बातों पर खास ध्यान दिया जा रहा है।इसके अलावा अपने संसदीय क्षेत्र में निष्क्रिय रहने वाले सांसदों पर भी लगातार निगरानी रखी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सांसदों के साथ बैठक में ऐसे सांसदों की तरफ इशारा भी किया। बावजूद इसके न मानने वाले दो दर्जन सांसद पार्टी ने चिन्हित किए हैं।