‘xXx’ के बाद अब इस हॉलीवुड फिल्म पर चली सेंसर बोर्ड की कैंची…
मुंबई: भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) फिल्मों को सर्टिफिकेट देने से ज्यादा उन पर कैंची चलाने के लिए मशहूर है. बॉलीवुड हो या क्षेत्रीय सिनेमा सेंसर बोर्ड अपने संस्कारों के खिलाफ जाने वाले हर सीन या डायलॉग पर कैंची चलाने में जरा भी गुरेज नहीं करता है. भारतीय फिल्मों के बाद अब सेंसर बोर्ड हॉलीवुड को संस्कारी बनाने के पीछे लग गया है. इसका ताजा उदारहण है टॉम क्रूज की ‘अमेरिकन मेड’, जिसमें अभिनेत्री सारा राइट के साथ टॉम के किसिंग सीन्स पर सेंसर बोर्ड ने कैंची चलाई और साथ ही यह तर्क दिया कि हवाई जहाज के कॉकपिट में इतना लंबा किसिंग सीन संभव नहीं है, लिहाजा इसे काटकर आधा कर देना चाहिए.
इसके अलावा इसी माह रिलीज हुई डेनिस विलेनूव की थ्रिलर फिल्म ‘ब्लेड रनर 2049’ पर भी सेंसर बोर्ड ने सख्ती दिखाते हुए उसके सभी न्यूड सीन्स हटाने का फरमान दिया. कुछ ऐसा ही विन डीजल और दीपिका पादुकोण की साल की शुरुआत में आई फिल्म ‘xXx: रिटर्न ऑफ जेंडर केज’ के साथ भी हुआ था. जेम्स बॉन्ड की 24वीं श्रंखला ‘स्पेक्टर’ भी काट-छांट का शिकार हुई थी. इसके किसिंग दृश्यों को काटकर आधा कर दिया गया था.
सेंसर बोर्ड के इस काट-छांट पर कई फिल्मकारों, निर्देशकों और कलाकारों ने नाराजगी जताई है, जिसमें बॉलीवुड अभिनेत्री शबाना आजमी भी शामिल हैं. शबाना कहती हैं, “हम ब्रिटिश प्रक्रिया का अनुसरण कर रहे हैं जो सही नहीं है. फिल्मों को वर्गीकृत करने वाली ब्रिटिश प्रक्रिया की देखा देखी यहां भी 30-40 लोगों का बोर्ड बना है. वह न केवल फिल्मों पर आदेश जारी करता है, बल्कि यह भी फैसला करता है फिल्मों में क्या नैतिकता होनी चाहिए. जबकि इससे उलट हॉलीवुड में फिल्म प्रमाणन बोर्ड में उद्योग के ही लोग शामिल होते हैं. वे फिल्मों पर विचार-विमर्श करते हैं और जरूरत के मुताबिक अपनी राय देते हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “अगर मैं कहूं कि प्रमाणन बोर्ड का नाम सेंसर बोर्ड नहीं होना चाहिए, तो इसमें हैरत नहीं, क्यूंकि बोर्ड का सबसे पहला काम सेंसर (काट-छांट करना) करना नहीं, बल्कि फिल्मों को वगीकृत करना होता है. बोर्ड यह निर्णय करता है कि कौन सी फिल्म कौन से दर्शक वर्ग के लिए सही है और किस फिल्म को कौन सा वर्ग दिया जाना चाहिए.”
भारत में ‘इंडियाना जोंस एंड द टेम्पल ऑफ डूम’ ‘इंशाल्लाह कश्मीर’, ‘फुटबॉल’, ‘वॉटर’, ‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘द पिंक मिरर’, ‘फायर’, ‘बैंडिट क्वीन’, ‘सिक्किम’ जैसी तमाम फिल्मों पर बैन भी लगाए गए हैं. अजय देवगन के प्रोडक्शन में बनीं ‘पार्च्ड’ के कुछ दृश्य सेंसर बोर्ड को जब रास नहीं आए, तो बोर्ड ने इन्हें फिल्म से अलग करने के आदेश दिए. वहीं, सेंसर बोर्ड ने नोटबंदी पर बनी बांग्ला फिल्म ‘शून्यता’ के सीन्स पर भी कैंची चलाई थी. हाल ही में आई नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ में सेंसर बोर्ड ने 48 कट लगाए थे.
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