उत्तराखंड के निर्माण से लेकर विकास तक में महिलाओं की बड़ी भूमिका: राज्यपाल

देहरादून । भले ही राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को प्रदेश में अभी दो ही साल हो रहे हों, लेकिन उन्हें आगरा की मेयर, उत्तर प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की अहम सदस्य से लेकर वंचितों के लिए किए गए काम का अनुभव उत्तराखंड में भी बहुत काम आया है। महिला सशक्तीकरण की मुहिम में यह झलकता है। विकास और पर्यावरण, शिक्षा प्रसार आदि की चिंताओं में राजभवन की मौजूदगी समाधान के लिए एक अनिवार्य उपस्थिति की तरह दिखती है। कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर अमर उजाला से बातचीत में राज्यपाल ने ऐसे ही कई बिंदुओं पर खुलकर बात की…राज्यपाल के रूप में देवभूमि उत्तराखंड की सेवा करते हुए मुझे दो साल हो गए हैं। 26 अगस्त 2018 को मैंने उत्तराखंड के 7वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली थी। इस अवधि में मैंने सदैव संवैधानिक मर्यादा का सम्मान करते हुए अपनी पूर्ण क्षमता और समर्पण की भावना के साथ उत्तराखंड की सेवा की है। जहां भी मुझे लगता है कि राज्य सरकार को जनहित में कोई सकारात्मक सुझाव दिया जा सकता है, मैं उन्हें बताती हूं। मुझे खुशी है कि सरकार इन सुझावों का सम्मान भी करती है। उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत है। विकास के कई सूचकांकों पर उत्तराखंड देश के शीर्षस्थ राज्यों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता रहा है। मैंने उत्तराखंड के सभी जिलों, दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों का व्यापक भ्रमण किया है। मुझे यहां की महिलाओं ने विशेष रूप से प्रभावित किया है। उत्तराखंड के निर्माण से लेकर इसके विकास के सभी आयामों में यहां की मातृशक्ति की बड़ी भूमिका रही है।मेरा मानना है कि महिला स्वयं सहायता समूह को उत्पादन एवं विपणन में प्रशिक्षित कर सशक्त बनाया जा सकता है। मैंने कई महिला स्वयं सहायता समूहों से मुलाकात के दौरान उनके उत्पादों को देखा है, उनका स्वयं उपयोग किया है। स्थानीय फलों और अनाजों से निर्मित विभिन्न प्रकार के उत्पाद, स्थानीय हस्तशिल्प, विभिन्न रेशों से निर्मित ऊनी वस्त्र, शॉल आदि उच्च गुणवत्ता के होते हैं।जरूरत इस बात की है कि इन महिलाओं को सही अवसर प्राप्त हों। बालिका शिक्षा और महिला सशक्तीकरण सदैव मेरी शीर्ष प्राथमिकता रही है। इस संकल्प को शक्ति देने के उद्देश्य से मैंने राज्य की प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत महिला अधिकारियों का एक सम्मेलन भीे बुलाया था। मेरा दृढ़ विचार है कि एक सशक्त महिला को, समाज की वंचित एवं गरीब महिलाओं के प्रति अधिक जवाबदेह होना चाहिए।मुझे विश्वास है कि आने वाले कुछ महीनों में कोरोना संकट से हम पूरी तरह निकल जाएंगे। इन दोे वर्षों में देवभूमि की जनता का जो स्नेह, विश्वास एवं सहयोग प्राप्त हुआ है वह यूं ही मिलता रहे, ऐसी मेरी आकांक्षा है। राज्य में पर्यटन, साहसिक पर्यटन एवं खेल, जैविक कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, योग ध्यान और आयुर्वेद पर आधारित उद्यमों एवं व्यवसाय को बढ़ावा देकर पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं, युवाओं, किसानों की आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार किया जा सकता है।

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