पत्नी पति की जागीर नहीं, जवाब का हल मोदी सरकार के पास
देश की सर्वोच्च अदालत के प्रधान न्यायाधीश सन्माननीय जस्टिस दीपक मिश्राजीने उमर के लिहाज से अवकाश प्राप्त होने से पहले कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक फैंसले सुनाये। उन्होंने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 रद्द करने के बाद जिस सम्बन्ध पर समाज टिका है वह विवाह से जुडी धारा 497 और सीआरपीसी की धारा 198-1 और 198-2 को भी अवैध माना। कोर्टने अपने ऐतिहासिक फैंसले में करी 158 साल पुरानी धारा 497 को रद्द करते हुए कहा की शादी से बाहर संबंध अपराध नहीं। लेकिन तलाक का वाजिब आधार बन सकता है। फैंसले पर भिन्न भिन्न प्रतिक्रिया आना स्वाभाविक है। शादी से बाहरी संबंध व्यभिचार है। जो अब नहीं माना जायेंगा।दिल्ही महिला आयोग का मानना है की यदि व्यभिचार अपराध ही नहीं तो महिलाएं पुरुष के खिलाफ फरियाद कैसे करेंगी? कई पुरुष दो या तीन शादी कर पहले वाली पत्नियों को त्याग दे वे पीड़ित महिलाएं किसको फ़रियाद करेंगी ? सवाल कई है और जवाब हाल की मोदी सरकार के पास है।
मोदी सरकार ने भारत की मुस्लिम महिलायों के लिए इंस्टंट तीन तलाक का प्रावधान दूर किया। संसद में तीन तलाक निर्मूलन कानून पारित नहीं हो पाया तो अध्यादेश जारी कर इसका फ़ौरन अमल भी शुरू कर दिया। तीन तलाक में मुस्लिम महिला के साथ अन्याय हो रहा था। धारा 497 से हिन्दू महिलाये और हिन्दू पुरुष दोनों पीड़ित है। हिन्दू संस्कृति में शादी ब्याह एक पवित्र बंधन ही नहीं लेकिन समूचे परिवार की मजबूत जड़ और नीव होती है। धारा 497 रद्द होने से स्त्री या पुरुष दोनों मन मर्जिया करे, दुसरे के साथ शारीरिक सबंध बनाए कोई रोक टोक नहीं। हां, तलाक के लिए ये एक वजह बन सकती है। भारत देश अमरीका या यूरोप जितना आधुनिक विशेष कर शादी ब्याह के बाहरी संबंध के लिए मेच्योर नहीं। अदालत ने जो कहा है की पत्नी पति की जागीर नहीं। लेकिन भारत के दूर दराज गाँव में माहौल अलग है। पति को अपना भाग्य और भगवान् माना गया है हिन्दू संस्कृति में। जीवनसाथी होते है दोनों। अग्नि की साक्षी में शपथ ली जाती है एक दुसरे के साथ बंधन में बंधने के लिए और वफादारी की। यदि कोई वफादार न रहा, व्यभिचार कर रहा है तो क्या परिवार समाज अदालत के फैंसले को अपना लेंगा?
मामला इतना संगीन है की यदि सुधार के साथ धारा 497 को फिर से बरकरार नहीं रखा गया तो अनर्थ हो सकता है। हिन्दू हित की बात करने वाले संघ परिवार ने इस फैंसले पर क्यों कोई प्रतिक्रिया अभी तक नहीं दी ? संघ क्या मानता है इस पर यह भी खुलासा हो। ऐसा नहीं की सुप्रीम के फैंसले को पलटा नहीं जा सकता। मोदी सरकार भारत की धरोहर समान हिदू संस्कृति हिन्दू परिवारों को टूटने से बचाने के लिए महिलायों को न्याय मिले ऐसे सुधार के साथ धारा 497 को कायम रखे।