भाजपा को क्यों पड़ी चिन्ता जनता के स्वास्थ्य सुधारने की ?
भारत में योग गुरुओं की कमी नहीं है इस हिसाब से तो अब तक ‘स्वस्थ भारत, स्वस्थ नागरिक’ जैसे नारे का जन्म हो जाना चाहिए था।
भाजपा ने कभी देश में राम लहर का डंका बजाकर माहौल राममय किया फिर भी देश के सभी नागरिक रामभक्त नहीं बने वहीं अब योग का चोला ओढ़कर योगमय बना दिया है। देखना है अब योग का कितना प्रभाव पड़ेगा। योग में कोई बुराई नहीं है। प्राचीन विद्या है। हरेक मनुष्य का इसको अपनाना उसके स्वास्थ्य के लिए ही लाभदायक है। नियमित रूप से योग करने वाले लाभान्वित भी होते रहते हैं। भारत में योग गुरुओं की कमी नहीं है इस हिसाब से तो अब तक ‘स्वस्थ भारत, स्वस्थ नागरिक’ जैसे नारे का जन्म हो जाना चाहिए था। असल में योग को घर-घर तक पहुंचाने में बाबा रामदेव का खासा हाथ रहा है। योग विदेशों में भी प्रचलित है लेकिन कम। भारत में जब से बाबा रामदेव ने योग का प्रचार कर चेतना जगायी तब से अध्किंशतः लोग इसे कापफी फायदेमंद बताते हैं। चाहे वह बदपरहेजी का शिकार हां या दैनिक प्रक्रियाओं की अनियमितताओं का मगर आत्मसंतुष्ट हैं। सवाल यह उठता है कि भाजपा को ही क्यों पड़ी अब सबके स्वास्थ्य सुधरने की चिन्ता? देश की जो स्वास्थ्य सेवाएं हैं उनमें भी तो सरकार को सुधर लाना चाहिए, ताकि हरेक को चिकित्सा सुविध हर समय उपलब्ध् हो सके। कुपोषण जैसी बीमारी को हटाना चाहिए तभी तो पूरे देश के लोगों के स्वस्थ रहने की आशा की जा सकती है। योग तो दिनचर्या का अंग होना ही चाहिए। भारत के आमजन से लेकर विदेशों तक जो संदेश पहुंचाया वह प्रशंसा योग्य है। लेकिन कहीं न कहीं हल्की-सी राजनैतिक बू का भी अहसास होता है वह कहीं मोदी के इस खेल को न बिगाड़ दे इससे भाजपा को सतर्क रहने की आवश्यकता है।