वर्ल्ड टीबी डे पर जानें सामान्य खांसी और टीबी में क्या है अंतर
कई लोगों को हमेशा खांसने रहने की समस्या रहती है लेकिन हर खांसते हुए व्यक्ति को टीबी की बीमारी हो, यह जरूरी नहीं है। असल में कुछ ऐसे मुख्य लक्षण जो टीबी और आम खांसी को अलग करते हैं। टीबी के लक्षण कितने भी खतरनाक हो लेकिन अगर सही देखभाल और वक्त पर इसकी पहचान की जाए, तो कम समय में टीबी से छुटकारा पाया जा सकता है।
क्या है टीबी
टीबी यानी ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया से होने वाली फेफड़ों की बीमारी है। यह संक्रामक बीमारी है, जो मरीज के लार, बलगम और उसके संपर्क में रहने से होती है। फेफड़ों के अलावा तपेदिक यूटरस, हड्डियों, मस्तिष्क, लिवर, किडनी और गले में भी हो सकती है। खास बात यह है कि फेफड़े की टीबी के अलावा अन्य अंगों की टीबी संक्रामक नहीं होती है।
क्यों खतरनाक है टीबी
टीबी का मरीज जब छींकता है तो दबाव से 10 हजार बूंदे मुंह से निकलती हैं। वहीं, खांसते समय तीन हजार बूंदे मुंह से निकलती हैं। इसलिए टीबी के मरीज को छींकते और खांसते समय रुमाल का प्रयोग करना चाहिए। इसका संक्रमण काफी तेजी फैलता है। इसके अलावा टीबी शरीर के जिस हिस्से को अपना शिकार बनाती है, सही इलाज न मिलने पर वह पूरी तरह बेकार हो जाता है। यूटरस की टीबी के कारण बांझपन होता है, फेफड़ों में तपेदिक होने पर यह कमजोर और बेकार हो जाते हैं। इसी तरह ब्रेन की टीबी होने पर मरीज को दौरे पड़ते और हड्डी की टीबी में हड्डियां गलने लगती हैं।
सामान्य खांसी और टीबी में अंतर
सामान्य खांसी गले में सूजन आ जाती है. रेस्पि्रेटरी ट्रैक्ट में जलन हो सकती है. गला बैठने से बोलते वक्त गले में दर्द होता है. वहीं, ज्यांदातर मामलों में खांसी के साथ बलगम का आना सामान्यह होता है. जबकि टीबी में खांसी की मूल वजह टीबी पैदा करने वाला बैक्टीरिया होता है। जो अपने प्रसार के लिए रोगी के शरीर में खांसी पैदा करने वाले अणुओं को पैदा करता है। टीबी, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलती है, जो हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है।
वजन कम हो रहा हो
भूख कम होने लगे
3 हफ्ते से ज्यादा लगातार खांसी होना
खांसी के साथ बलगम हो
बलगम में कभी-कभार खून आना
शाम या रात में बुखार
सांस लेते हुए सीने में दर्द हो
खांसी का इलाज और रोकथाम
तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें, वह भी नियमित तौर पर। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करे। आमतौर पर बीमारी खत्म होने के लक्षण दिखने पर मरीज को लगता है कि वह ठीक हो गया है और इलाज रोक देता है। ऐसा बिलकुल न करें। इससे दवा के प्रति रेजिस्टेंट पैदा हो सकता है और बीमारी तो बढ़ ही सकती है, दूसरों में भी टीबी फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
-मास्क पहनकर रखें। मास्क नहीं है तो हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर कर लें। इस नैपकिन को ढक्कनवाले डस्टबिन में डालें। बाद में इन नैपकिन को आग लगा दें।
-यहां-वहां थूकें नहीं। मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। प्लास्टिक में आग लगाने से बचें।
-मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहे।
-मरीज एसी से परहेज करे क्योंकि तब बैक्टीरिया अंदर ही घूमते रहेंगे और दूसरों को बीमार करेंगे।
-मरीज खूब पौष्टिक खाना खाए, एक्सरसाइज व योग करे और सामान्य जिंदगी जिए।
-मरीज बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करे।