मजदूरी संहिता 2019 बिल हुआ पास, अब श्रमिकों को मिल सकेगा न्यूनतम वेतन
नयी दिल्ली। संसद ने शुक्रवार को असंगठित क्षेत्र सहित देश भर के कामगारों को न्यूनतम मजदूरी के दायरे में लाने एवं मजदूरी के मामले में महिला-पुरुषों के बीच भेदभाव को समाप्त करने के प्रावधानों वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी दे दी। राज्यसभा ने इन महत्वपूर्ण प्रावधानों वाले मजदूरी संहिता 2019 को आठ के मुकाबले 85 मतों से पारित कर दिया। उच्च सदन ने विधेयक पर लाये गये विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। इससे पहले उच्च सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए श्रम कल्याण मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि इस विधेयक के जरिये ऐसा पहली बार हो रहा है कि देश के असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ कामगारों को न्यूनतम मजदूरी के दायरे में लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभी कई राज्यों में न्यूनतम मजदूरी को लेकर एक समानता नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विधेयक के जरिये न्यूनतम मजदूरी की राशि तय नहीं की गयी है। इसे संबंधित समिति तय करेगी। उन्होंने कहा कि विधेयक में न्यूनतम मजदूरी की राशि की पांच साल में समीक्षा का प्रावधान किया गया है किंतु राज्य सरकारें चाहें तो इससे पहले भी यह समीक्षा कर सकती हैं। गंगवार ने कहा कि श्रम मामलों की स्थायी समिति ने भी विधेयक पर लगभग एक साल तक विचार करने के बाद इस पर कुल 24 सिफारिशें दी थीं, इनमें से 17 को विधेयक में शामिल किया गया है। गंगवार ने कहा कि संगठित क्षेत्र के लोगों को निर्धारित पारिश्रमिक के दायरे में लाना आसान है, लेकिन असंगठित क्षेत्र को इस दायरे में लाना सोच से भी आगे की बात है। उन्होंने यह भी कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार के तहत एक नयी सुबह की शुरुआत हो चुकी है।