भारत-चीन सीमा पर बसे गांव बिजली की रोशनी से जगमगाएंगे
पिथौरागढ़ : भारत-चीन सीमा पर बसे गांव बिजली की रोशनी से जगमगाएंगे। सीमा के गांव सेला का अंधियारा इस माह दूर हो जाएगा। 35 परिवारों को बिजली की सुविधा मिल जाएगी। बिजली तैयार करने के लिए गांव के लोगों ने खुद माइक्रोहाइडिल योजना तैयार की है।
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसा सेला गांव समुद्रतल से साढ़े सात हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस गांव तक नेशनल ग्रिड की लाइन नहीं पहुंच पाई है। इस समस्या को देखते हुए गांव को रोशन करने की संभावनाएं तलाशी गईं तो गांव के पास ही बहने वाले नाले से बिजली पैदा करने की संभावनाएं नजर आईं।
पानी से बिजली पैदा करने का खाका अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) ने खींचा। गांव की जरूरत को देखते हुए 50 किलोवाट क्षमता की योजना डिजाइन की गई और इसका प्रारूप ग्रामीणों को सौंप दिया गया। गांव में ऊर्जा समिति का गठन हुआ और सरकार ने धनराशि उपलब्ध कराकर निर्माण का जिम्मा ग्रामीणों को ही सौंप दिया।
एक वर्ष के भीतर योजना बनकर तैयार हो गई है। तकनीकी मदद कर रहे उरेडा ने इसका ट्रायल पूरा कर लिया है। सितंबर माह के अंत तक योजना शुरू हो जाएगी। उरेडा के परियोजना अधिकारी एके शर्मा के अनुसार 50 किलोवाट की सेला परियोजना पूरी कर ली गई है। गांव के लोग खुद ही बिजली तैयार कर अपने घरों को रोशन करेंगे।
अन्य गांवों के लिए भी बनेगी योजना
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे सात और गांवों का अंधेरा अगले वर्ष तक दूर हो जाएगा। क्षेत्र के नागलिंग गांव में 50 किलोवाट, दुग्तू में 25 किलोवाट, बूंदी में 50 किलोवाट, नपल्चयू में 50 किलोवाट, बूंदी में 50 किलोवाट और रौंगकौंग में 50 किलोवाट की योजनाएं बनाई जा रही हैं।