उत्तराखंड: डेढ़ लाख युवाओं को झटका, वन रक्षकों की भर्ती फिर अटकी
देहरादून। उत्तराखंड वन रक्षक के 1218 रिक्त पदों की भर्ती में फिर पेच फंस गया है। जिससे आवेदन करने वाले डेढ़ लाख अभ्यर्थियों को और इंतजार करना पड़ेगा। वन विभाग की ओर से भर्ती नियमावली में संशोधन करने के बाद अब कार्मिक विभाग की कॉमन भर्ती नियमावली 2008 आड़े आ रही है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग कार्मिक विभाग की नियमावली के अनुसार सीधी भर्ती करता है। वन और कार्मिक विभाग की नियमावली अलग-अलग होने से दुविधा में फंसा आयोग अब शासन से अनुमति लेगा।हाल ही में वन विभाग ने वन रक्षकों की भर्ती के लिए नियमावली में संशोधन किया था। इसमें शारीरिक परीक्षा से पहले अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा कराने और शारीरिक टेस्ट के लिए सिर्फ 25 किलोमीटर की दौड़ का प्रावधान किया गया।लेकिन कार्मिक विभाग ने 2008 में सीधी भर्ती के लिए कॉमन नियमावली जारी कर रखी है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भी कार्मिक विभाग की नियमावली के अनुसार समूह ‘ग’ के पदों की भर्ती करता है।वन और कार्मिक विभाग की नियमावली को लेकर चयन आयोग दुविधा में पड़ गया है। किस नियमावली के आधार पर वन रक्षकों की भर्ती की जाए, अब इसके लिए आयोग शासन से अनुमति लेगा। इसके बाद ही भर्ती प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। वन विभाग के प्रस्ताव पर चयन आयोग ने तीन अगस्त 2017 को वन रक्षक पदों की विज्ञप्ति जारी की थी, लेकिन आवेदन शुरू होते ही सरकार ने आयु सीमा को लेकर भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद वन विभाग ने अधिकतम आयु सीमा 24 वर्ष से बढ़ा कर 28 वर्ष की। फिर जून 2019 में आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई।इन पदों के लिए डेढ़ लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। शारीरिक टेस्ट कराने के लिए आयोग ने अभ्यर्थियों का रिकार्ड वन विभाग को भेजा था, पर विभाग शारीरिक टेस्ट नहीं कर पाया था। वन रक्षकों की भर्ती के लिए वन विभाग ने नियमावली में संशोधन तो कर लिया है, लेकिन कार्मिक विभाग की नियमावली में शारीरिक टेस्ट से पहले लिखित परीक्षा कराने का प्रावधान नहीं है। विभागीय नियमावली के आधार पर भर्ती की जाए या नहीं, इसके लिए शासन से राय ली जाएगी।