मुख्यमंत्री को उत्तराखण्ड पत्रकार महासंघ ने सात सूत्रीय मांग पत्र सौंपा
इंडिया वार्ता/ देहरादून। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बाद देशव्यापी लॉकडाउन के चलते बंदी के कगार पर पहुंचे स्थानीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं को संकट से उभारने के लिए उत्तराखण्ड पत्रकार महासंघ ने प्रदेश सरकार से गुहार लगाते हुए उन्हे आर्थिक पैकेज दिये जाने की मांग की है। उत्तराखण्ड पत्रकार महासंघ का प्रतिनिधि मण्डल आज महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष निशीथ सकलानी के नेतृत्व में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से उनके आवास पर मिला और उन्हें एक सात सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। मुख्यमंत्री से हुई वार्ता के दौरान प्रतिनिधि मण्डल ने उन्हें अवगत कराया कि कोरोना संक्रमण के बाद देशव्यापी लॉकडाउन के चलते प्रदेश से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन के साथ-साथ उनकी रोजी रोटी का भी बड़ा भारी संकट खड़ा हो गया है। इसलिए प्रदेश सरकार तत्काल उनके लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा करे। उत्तराखण्ड पत्रकार महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष निशीथ सकलानी ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को बताया कि कोविड-19 के संक्रमण से निपटने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा समाज के लगभग सभी वर्गो को लगातार राहत (आर्थिक एवं रसद की आपूर्ति के रूप में) पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। लेकिन अत्यन्त खेद का विषय है कि इस वैश्विक महामारी को लेकर देश व प्रदेश की जनता को जन-जाग्रीत करने के साथ-साथ सटीक जानकारी पहुंचाने वाले मीडियाकर्मियों के लिए सरकार ने किसी प्रकार के आर्थिक पैकेज की आज तक कोई घोषणा नहीं की है। सकलानी ने कहा कि विश्वव्यापी आपदा की इस घड़ी में देश एवं प्रदेश के समस्त मीडियाकर्मी भी सरकार के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर कोरोना की जंग में डटे हैं लेकिन आज तक उन्हें किसी प्रकार की राहत नहीं दी गई है। राज्य के मीडियाकर्मियों के सबसे बड़े संगठन “उत्तराखण्ड पत्रकार महासंघ” द्वारा आज मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सौंपे गये सात सूत्रीय मांग पत्र में कहा है कि राज्य सरकार उत्तराखण्ड से प्रकाशित समस्त समाचारपत्र-पत्रिकाओं और मीडियाकार्मियों के लिए अतिशीघ्र आर्थिक पैकेज की घोषण करे। महासंघ द्वारा मुख्यमंत्री को दिये गये मांग पत्र में कहा गया है कि महामारी और लॉकडाउन की वजह से राज्य से प्रकाशित होने वाले सभी समाचार पत्र-पत्रिकाओं के स्वामियों, प्रकाशकों, सम्पादकों और उनमें कार्य करने वाले कार्मिकों के सम्मुख आज रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इसलिए उन्हे अतिशीघ्र वैज्ञापनिक सहयोग प्रदान करते हुए उनकी मदद की जाये। लॉकडाउन के कारण प्रिंटिग प्रेसों में पिछले एक माह से भी अधिक समय से कागज और इंक न होने की वजह से राज्य से प्रकाशित होने वाले स्थानीय समाचार पत्र-पत्रिकायें प्रकाशित नहीं हो पा रही हैं इसलिए उनकी नियमितता हेतु भारत सरकार की प्रचार संस्था डी. ए. वी. पी. की भांति ही राज्य में भी मार्च, अप्रैल, मई एवं जून माह 2020 की नियमितता बरकरार रखी जाने हेतु राज्य के सूचना एवं लोकसर्पक विभाग को अतिशीघ्र निर्देशित किया जाये।महासंघ ने मांग की कि प्रदेश सरकार द्वारा समय-समय पर जारी होने वाले सभी प्रकार के विज्ञापन (कोरोना संक्रमण सहित) उत्तराखण्ड से प्रकाशित समस्त समाचार पत्र-पत्रिकाओं को नियमित जारी किये जायें। मुख्यमंत्री को सौंपे पत्र में यह भी मांग की गई है कि कोरोना संकट की इन विषम परिस्थितियों में काम कर रहे राज्य के पत्रकारों को चिन्हित कर कोरोना वरीयर के सम्मान से उन्हे सम्मानित किया जाये और पत्रकारों को निर्गत होने वाले सभी प्रकार के पास पूर्व की भांति राज्य के सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग से जारी किये जायें। महासंघ ने मुख्यमंत्री को बताया कि लॉकडाउन के कारण राज्य से प्रकाशित होने वाले अधिकांश समाचार पत्र-पत्रिकाओं के विज्ञापन बिलों का भुगतान काफी समय से लटका हुआ है। अत: लंबित बिलों का भुगतान अतिशीघ्र किया जाये। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को ज्ञापन सौंपने वालों में उत्तराखण्ड पत्रकार महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष निशीथ सकलानी, जिलाध्यक्ष सुशील चमोली शामिल थे।