आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं उत्तराखंड के लोक कलाकार
देहरादून, । उत्तराखंड के लोक कलाकारों ने एक संयुक्त रूप से वेबीनार का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में लोक कलाकार मिना पवार, सुरेंद्र सत्यार्थी एवं प्रकाश मेंगवाल ने अपनी प्रस्तुति से लोगों का मन मोह लिया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पीआरसीआई देहरादून चैप्टर के सचिव विकास कुमार एवं समाजसेवी आशीष उनियाल ने संयुक्त रूप से किया। लोक गायिका मिना पवार ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ’उत्तराखंड के लोक कलाकार जो अपनी जीविका सिर्फ अपनी हुनर के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति देकर चलाते हैं उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है आप सभी को विदित होगा कि बीते लगभग डेढ़ सालों से कोई भी सार्वजनिक कार्यक्रम एवं सार्वजनिक प्रस्तुति या नहीं हो पा रही है जिसकी वजह से लोग कलाकारों को कोई काम नहीं मिल रहा है और जिससे वे आर्थिक बदहाली से गुजर रहे हैं। इन परिस्थितियों में हम अपने श्रोताओं और दर्शकों तक सिर्फ ऑनलाइन और डिजिटल माध्यम से अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं ताकि जो लोग लॉकडाउन में अपने घर पर अपने बच्चों के साथ रह रहे हैं उन सभी को उत्तराखंड के लोक संस्कृति के बारे में अवगत कराया जाए। लोक कलाकार सुरेंद्र सत्यार्थी ने अपने संबोधन में कहा ’इस महामारी के दौर में उत्तराखंड के जो वरिष्ठ एवं लोकप्रिय लोक कलाकार हैं वह सामने आकर नए और उभरते हुए कलाकारों को थोड़ी सी मदद करेंगे तो उनका जीवन यापन भी सुचारू रूप से चलता रहेगा तथा उनको अन्य डिजिटल प्लेटफार्म पर अपनी प्रस्तुतियां देने के लिए भी आमंत्रित किया जाए, ताकि लोगों को पता चले कि नए और उभरते हुए उत्तराखंड के लोक कलाकार किसी से कम नहीं है। प्रकाश मेगवाल ने एक गढ़वाली गाने में अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा कि हमारी गढ़वाली बोली बहुत ही मीठी एवं सर्व हृदय प्रिय है अगर आप उत्तराखंड से बाहर जाते हैं तो कई शादी समारोह एवं अन्य कार्यक्रमों में गढ़वाली गानों पर लोगों को झूमते हुए देखते हैं तब समझ में आता है कि हमारे गढ़वाली एवं कुमाऊनी गीतों पर सिर्फ उत्तराखंड के लोग ही नहीं बल्कि देश और दुनिया के अन्य लोग भी इसे पसंद करते हैं एवं हमारे गानों पर झूमते हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम कोरोना महामारी की इस त्रासदी में जब सभी लोग अपने घर पर अपने परिवार के साथ इस कार्यक्रम को देख रहे होंगे तो उन्हें उत्तराखंड के बारे में काफी कुछ पता पता चलेगा। पीआरसीआई देहरादून चैप्टर के सचिव विकास कुमार ने कहा हम उत्तराखंड के लोक कलाकारों के लिए निरंतर इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन करते रहेंगे एवं विभिन्न प्लेटफॉर्म के माध्यम से नए एवं उभरते कलाकारों को भी सामने लाएंगे ताकि लोगों को पता चले कि हमारे उत्तराखंड के जो भी रत्न है वह दूरदराज के गांवों में भी रहते हैं । वे सभी अपनी प्रस्तुतियां देकर ना सिर्फ उत्तराखंड के लोगों का मनोरंजन करेंगे बल्कि आने वाले भविष्य में जब उनको उत्तराखंड के लोग अपने-अपने कार्यक्रम में प्रस्तुतियां देने के लिए बुलाएंगे जिससे उन्हें आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाया जाएगा एवं ऐसे कलाकारों को उनके प्रस्तुति के प्रति प्रोत्साहित भी किया जाएगा। समाज सेवी आशीष उनियाल ने कहा कि हम उत्तराखंड के लोक कलाकारों के लिए देश और दुनिया के विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उनके प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित करते रहेंगे एवं उत्तराखंड के लोक संस्कृति के प्रति लोगों को जागरूक करेगंे ताकि उत्तराखंड के जो लोक कलाकार एवं लोकसंस्कृति है उसे जुड़े हुए लोगों को आर्थिक रूप से मदद की जाए और नए एवं उभरते हुए कलाकारों को भी प्रोत्साहित किया जा सके। लोक कलाकार मिना पवार ने निखाण्यां बुडडी, सुसेटि का चैंल एवं करी ना चिडकू चस जैसे गीतों पर अपनी प्रस्तुति दे कर लोगों का मन मोह लिया वही सुरैन्द्र सत्यार्थी ने अपने गीत वासुदेव जागर, धिरजू भुला एवं रूशना रंवाई की गीतों पर अपनी प्रस्तुति दी। लोक गायक प्रकाश मेंगवाल ने नई टीहरी की बलमा, बांद दैशवाली,घाघरी घुमौ, मैतें बाद मिलीगै, आछरी जागर जैसे रचनाओं को प्रस्तुत किया।