उत्तराखंड भाजपा ने बनाई चुनौतियों से निबटने की रणनीति
देहरादून : प्रचंड बहुमत से राज्य में सत्तासीन भाजपा के सामने अब ‘निचली सरकार’ में छाने के साथ ही 2019 में होने वाले लोस चुनाव में वर्चस्व कायम रखने की चुनौती है। सियासी नजरिये से देखें तो भाजपा की हल्द्वानी में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में लिए गए फैसलों का खाका भी इन्हीं चुनौतियों से पार पाने के इर्द-गिर्द बुना गया है।
फिर चाहे वह भावनात्मक रूप से गैरसैंण का मसला हो या फिर राज्य एवं केंद्र सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने का। यही नहीं, आजीवन सहयोग निधि के जरिये पार्टी में आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने की कोशिश है तो चुनावी वर्ष में उन्हें लुभाने की योजनाओं पर भी मंथन किया गया।
सियासी हिसाब-किताब से देखें तो राज्य में आने वाला साल भाजपा के लिए खासा चुनौतीभरा है। वजह ये कि अगले साल स्थानीय निकायों के साथ-साथ सहकारिता के चुनाव होने हैं। इनमें प्रमुख हैं निकाय चुनाव, जिनमें भाजपा के सामने राज्यभर में निचली सरकार पर कब्जा करने की चुनौती है। यही नहीं, ये चुनाव 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के दृष्टिकोण से लिटमस टेस्ट की तरह हैं।
सूरतेहाल, भाजपा का पूरा फोकस अब इन चुनावों में जीत हासिल करने के साथ ही लोस चुनाव के लिए ऐसी जमीन तैयार करने पर है, जिससे प्रदेश की सभी लोस सीटों पर पार्टी का दबदबा कायम रह सके।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो हल्द्वानी में हुई भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के फैसले इसी को ध्यान में रखकर लिए गए हैं। कोशिश ये है कि राज्यभर में निचली सरकार यानी निकायों से लेकर लोस चुनाव तक कमल लगातार खिला रहे। इस आलोक में देखें तो सरकार और संगठन के मध्य बेहतर तालमेल का संदेश दिया गया है। पार्टी ने तय किया है कि राज्य और केंद्र सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक ले जाने के लिए कार्यकर्ता कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।
कार्यसमिति के जरिये पार्टी ने यह भी जताने का प्रयास किया है कि डबल इंजन की सरकार में वह राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रही है। राज्य स्थापना दिवस पर रैबार कार्यक्रम में आए महत्वपूर्ण सुझावों को विजन-2020 में शामिल कर इस दिशा में सरकार के आगे बढ़ने को इसी कड़ी के तौर पर देखा जा रहा है। भावनात्मक रूप से भी लोगों को पार्टी से जोड़ने की कवायद की गई है। आजीवन सहयोग निधि के जरिये लोगों की भागीदारी पार्टी में की जा रही है, ताकि उन्हें लगे यह उनकी ही पार्टी है।
यही नहीं, गैरसैंण के सवाल को भी पार्टी अधिक लटकाने के मूड में नहीं है। यही कारण भी है कि कार्यसमिति में स्पष्ट किया गया कि अपने दृष्टिपत्र में किए गए वायदे के अनुसार वह गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाएगी। हालांकि, ये भी कहा गया कि इस बारे में पहले सभी दलों से राय-मशविरा लिया जाएगा। वहीं, प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम को भी लोगों को सुनाने के लिए बूथ स्तर पर व्यवस्था करने को नमो कार्ड के रूप में देखा जा रहा है।