सहकारी संघों पर कब्जे की तैयारी में जुटी उत्तराखंड भाजपा
देहरादून : प्रचंड बहुमत से राज्य में सत्तासीन भाजपा अब राज्य सहकारी संघों में कब्जा जमाने के लिए तैयारियों में जुट गई है। इस कड़ी में अगले साल फरवरी से जुलाई तक होने वाले चुनावों में सभी सहकारी समितियों व शीर्ष संघों में अधिक से अधिक संख्या में भाजपा के बोर्ड बनें, इसके लिए इच्छुक दावेदारों ने गोटियां बिछानी शुरू कर दी हैं। पार्टी की भी कोशिश है कि राज्य गठन से लेकर अब तक के कालखंड में 12 साल तक सहकारिता में राज करने वाली कांग्रेस को बेदखल किया जाए।
उप्र के दौर से यहां सहकारिता के क्षेत्र में कांग्रेस का वर्चस्व रहा है। राज्य गठन के 17 साल के वक्फे को देखें तो भाजपा को पांच साल तक ही सहकारिता के शीर्ष संघों में मौका मिल पाया। इस बार भाजपा ने राज्य सहकारी संघ (यूसीएफ) के अधीन गठित सहकारी समितियों की जांच कराई तो इसमें 96 समितियां नियमानुसार नहीं पाई गईं।
नतीजतन, इनके सदस्यों की सदस्यता खत्म करने के साथ इन समितियों के जरिए यूसीएफ के बोर्ड में गए 10 निदेशकों की सदस्यता भी खत्म हो गई।
सूरतेहाल सिर्फ दो निदेशकों के ही रहने से यूसीएफ बोर्ड अल्पमत में आ गया। तब सरकार ने पांच सदस्यीय कमेटी गठित की और फिर एक्ट के तहत इस कमेटी ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव कर लिया। अध्यक्ष भाजपा से जुड़े हैं। सरकार के इस कदम को सहकारी संघों पर कब्जे की पहली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।
चूंकि, सहकारी समितियों और शीर्ष संघों के चुनाव फरवरी से प्रस्तावित हैं, इसे देखते हुए भाजपा तैयारियों में जुट गई है। फरवरी में व्यक्तिगत सहकारी समितियों, मार्च में पैक्स समितियों, अपै्रल में सहकारी क्रय-विक्रय समितियों व भेषज संघों, मई में जिला सहकारी बैंक, जून में शीर्ष सहकारी संस्थाओं और जुलाई में यूसीएफ के चुनाव होने हैं।
इसे देखते हुए भाजपा ने अपने सांगठनिक नेटवर्क के बूते गोटियां बिछानी प्रारंभ कर दी हैं। भाजपा के सहकारिता से जुड़े एक बड़े नेता के मुताबिक संगठन के बूते पार्टी मजबूत स्थिति में है।