उत्तरप्रदेश : लाॅकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां ठप,मंत्रियों-विधायकों की निधि में हो सकती है कटौती

उत्तरप्रदेश/लखनाऊ कोरोना संकट के चलते अब विधायकों व मंत्रियों को ज्यादा त्याग करना पड़ सकता है। केंद्र की तर्ज पर उनकी निधि पर कुछ समय के लिए कैंची चल सकती है। यही नहीं वेतन से भी कटौती का विकल्प आजमाया जा सकता है।लाॅकडाउन के चलते देश भर में आर्थिक गतिविधियां ठप सी हैं। यह  सिलसिला लंबा चल सकता है। लॉकडाउन खुलने के बाद भी स्थिति सामान्य होने में लंबा वक्त लग सकता है। कोरोना संकट के चलते चिकित्सा सुविधाएं, राहत के कार्यों पर भारी रकम खर्च करनी पड़ रही है। तो नई गाडि़यां न बिकने, टोल टैक्स न मिलने, जमीन मकान की खरीद फरोख्त न होने से भी वित्तीय वर्ष के पहले महीने में ज्यादा आमदनी होना मुश्किल है। ऐसे में अब यूपी सरकार पर भी खर्च का भार बढ़ गया है। इसीलिए मुख्यमंत्री ने कोविड फंड भी बनाया है और अतिरिक्त फंड जुटाने के लिए नए रास्ते तलाशे जा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मोदी सरकार द्वारा सांसद निधि कुछ समय के लिए स्थगित करने व वेतन से 30 प्रतिशत साल भर तक काटने के निर्णय का स्वागत किया है। माना जा रहा है कि इसी तरह का निर्णय यहां भी लागू हो सकता है। वैसे इस पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री को करना है। उन्होंने ही हाल में विधायक निधि से एक करोड़ इस नए फंड में देने की अपील की है।कोरोना संकट आने से पहले यूपी विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निधि दो करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ करने का ऐलान किया था। इसके अलावा विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने व पूर्व विधायकों की पेंशन बढ़ाने के लिए सरकार ने वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है। कोरोना संकट के चलते यह मामला अधर में लटक गया। फंड जुटाने के लिए सरकार तमाम विकल्प तलाश रही है। सूत्र बताते हैं कि सरकार कार्मिकों में उच्च श्रेणी वालों वेतन भत्तों व पेंशन में होने वाले खर्च का हिसाब किताब लगा रही है।

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