जैविक पद्धति से की गई धनिया की खेती से वह मिथक तोड़ा उप्रेती ने गिनीज बुक में नाम हुआ दर्ज
नई दिल्ली । देवभूमि उत्तराखंड के पहाड़ में जैविक पद्धति से 7.1 फुट खड़ा धनिया का पौधा उगाकर किसान गोपाल उप्रेती ने गिनीज वर्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है। गोपाल उप्रेती ने मंगलवार को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की ओर से मिले ई-मेल का हवाला देते हुए कहा कि सबसे उंचा धनिये का पौधा उगाने के लिए उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज कर लिया गया है। उप्रेती ने एजेंसी से खास बातचीत में बुधवार को कहा कि उन्होंने जैविक तरीके से धनिया का 2.16 मीटर यानी 7.1 फुट का पौधा उगाया है। उन्होंने बताया कि इससे पहले धनिये के पौधे का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में 1.8 मीटर यानी 5.11 फुट का था। बिल्लेख रानी खेत अल्मोड़ा के जी एस ऑर्गेनिक एप्पल फॉर्म में गोपाल उप्रेती ने जैविक पद्धति से धनिया की खेती की है, जिसमें पॉलीहाउस का इस्तेमाल नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि उनके खेत में कोई एक पौधा सात फुट उंचा नहीं है बल्कि कई पौधों की लंबाई सात फुट तक है। उप्रेती से एजेंसी ने जानना चाहा कि उन्होंने कैसे इतनी लंबाई के धनिया के पौधे उगाए। उन्होंने बताया, “हम परंपरागत खेती करते हैं और जैविक पद्धति से पौधे उगाते हैं। इसमें जैविक खाद ही डालते हैं, मसलन कंपोस्टए नीम केक का इस्तेमाल करते हैं।” उन्होंने बताया कि खासतौर से गोबर की खाद से पौधे को पुष्टि मिलती है और उसमें वृद्धि होती है। उप्रेती ने कहा कि उन्होंने कोई रिकॉर्ड बनाने के लिए धनिया का पौधा नहीं उगाया है, बल्कि करीब आधे एकड़ में इसकी खेती की है। उप्रेती ने बताया कि जो वैज्ञानिक उनके खेतों का निरीक्षण करने आए थे, उन्होंने इसे देखकर हैरानी जताई और इसे अजैविक यानी रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करके धनिया की खेती से बेहतर बताया। गोपाल उप्रेती न सिर्फ धनिया उगाते हैं बल्कि अपने फार्म में कई फलों और सब्जियों और मसालों की भी खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि जैविक पद्धति से की गई धनिया की खेती से वह मिथक टूट गया है जिसमें कहा जाता है कि रासायनिक उर्वरक के बिना बेहतर पैदावार नहीं हो सकती। बकौल उप्रेती उनके उगाए धनिया के एक पौधे से कम से कम 500/600 ग्राम धनिया निकलता है जबकि कुछ बड़े पौधों से तो 700/800 ग्राम तक धनिया निकलता है। हालांकि अजैविक खेती में धनिया के एक पौधे से 50 ग्राम से 200 ग्राम तक ही धनिया निकलता है।इस तरह जैविक खेती से न सिर्फ पैदावार बढ़ी है बल्कि इसके दाम भी अच्छे मिलते हैं। राजस्थान के कोटा स्थित मंडी में मंगलवार को धनिया का भाव 4500/5000 रुपये क्विंटल था जबकि उप्रेती ने बताया कि उन्होंने विगत में 500/600 रुपए प्रति किलो जैविक धनिया बेचा है और आगे इससे भी ज्यादा दाम की उम्मीद करते हैं। उन्होंने बताया कि ज्यादातर धनिया उन्होंने बीज के लिए किसानों को ही बेचा है। उप्रेती ने इस उन्नत नस्ल के धनिया के बीज भी खुद ही तैयार किए हैं। वह विगत चार-पांच साल से जैविक पद्धति से धनिया उगा रहे हैं।