उद्धव का भागवत से सवाल
मुंबई। शिवसेना ने शिकागो में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हिन्दुओं को लेकर दिए बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। शिवसेना के मुखपत्र सामना में पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने संघ प्रमुख के इस बयान पर सवाल उठाया है कि हिन्दुओं में वर्चस्व बनाने की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है, आक्रामकता नहीं है।
श्री भागवत ने शिकागो में कहा था कि एक समाज के रूप में हिन्दुओं को एकत्र होकर मानव जाति के कल्याण के लिए कोशिश करनी चाहिए। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सामना के संपादकीय में भागवत के बयान पर लिखा- ये हिन्दुओं पर लगाया गया आरोप है। हिन्दू आक्रामक हों, मतलब क्या करें? और आक्रामक हुए हिन्दुओं को उनके ही राज में कानूनी टैंक तले कुचला जा रहा होगा तो उसके लिए संघ की झोली में कौन-सा चूरन है? हिन्दुओं की वर्चस्व बनाने की महत्वाकांक्षा थी इसलिए छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की।
बाजीराव पेशवा ने हिंदुत्व का पताका अफगानिस्तान, पाकिस्तान से भी आगे लहराया था। तात्या टोपे और मंगल पांडे से लेकर वीर सावरकर तक कई लोगों ने हिंदू वर्चस्व के लिए ही ब्रिटिशों से संघर्ष किया। हिन्दू आक्रामक नहीं होता तो अयोध्या का बाबरी का कलंक पोंछा नहीं गया होता और ये सब-कुछ करने के पीछे शिवसेना का आक्रामक हिंदुत्व ही था।