परिवारवाद से त्रस्त और सम्मान की खातिर कांग्रेस के बड़े नेताओं ने पकड़ी भाजपा की डगरः चौहान

देहरादून, । भाजपा ने परिवारवाद को लेकर कांग्रेस के आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस को परिवारवाद मे फर्क महसूस करने की जरूरत है। भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है और यहाँ पर प्रत्याशी का चयन आम सहमति से होता है, जबकि कांग्रेस मे पंचायत चुनाव के लिए भी स्थानीय स्तर के बजाय हाईकमान से सब तय होता है। पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस और परिवारवाद को आम जनता और आम कांग्रेसी बखूबी जानते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्तर अथवा राज्यों मे अधिकांश बड़े नेताओं ने परिवारवाद से त्रस्त होकर ही भाजपा या दूसरे दलों अथवा अलग राह पकड़ी है। भाजपा ने कांग्रेस से आये कार्यकर्ताओ अथवा बड़े नेताओं को सम्मान दिया है और कांग्रेस को इसमें खुद का गुरुर देखने के बजाय पाश्चताप करने की जरूरत है, क्योंकि सम्मान भाजपा मे ही संभव है और यह भाजपा के संस्कार है। राज्य सरकार मे कई मंत्री कांग्रेस पृष्ठभूमि के है, लेकिन उन्होंने सम्मान के लिए ही भाजपा की राह पकड़ी और भाजपा मे कोई भी उपेक्षित नही रह सकता।चौहान ने कहा कि केंद्रीय स्तर पर कांग्रेस के नेताओं का जी 24 भी परिवारवाद के विरोध की उपज माना जाता है। हर सरकार मे सुपर पीएम और राज्यो मे हाई कमान की अनुकंपा से सुपर सीएम रहे है। जहाँ तक भाजपा का सवाल है तो यहाँ पर प्रत्याशी, विधायक, सीएम या पीएम के लिए आम जीवन से जुड़ा व्यक्ति होता है।
चौहान ने कहा कि जबाब भाजपा से नही कांग्रेस को देने की जरूरत है कि आखिर क्या कारण है कि वहाँ न तो कार्यकर्ता और न ही नेता खुद को क्यों असहज मान रहे है। कांग्रेस के सामने तो आज देश भर मे अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है। कांग्रेस को तुष्टिकरण और परिवारवाद के बारे मे हाईकमान से चर्चा करनी चाहिए। क्योंकि कांग्रेस मे अगर दिखावे के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भी बदलाव हुआ तो रिमोट परिवार के पास ही रहता है। उन्होंने कहा कि बागेश्वर मे असमय हो रहे चुनाव मे दिवंगत केबिनेट मंत्री चंदन राम दास की पत्नी को टिकट भी क्षेत्रीय जनता और कार्यकर्ताओ की सहमति से दिया गया है। चंदन राम दास अपने जीवन काल मे कभी चुनाव नही हारे और यह उनकी लोकप्रियता का पैमाना था। उनकी पत्नी भी उनके साथ हमेशा सेवा कार्यों मे लगी रही और इसी कारण कार्यकर्ताओ की पसंद बनी। जहाँ तक कांग्रेस का सवाल है तो वहाँ पर कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी ने कांग्रेस से किनारा कर लिया तो कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी का टोटा हुआ तो दूसरे दल से ही प्रत्याशी को मैदान मे उतारना पड़ा। इस सच्चाई को कांग्रेस जान बुझकर नजरंदाज करते हुए भाजपा पर आरोप प्रत्यारोप लगा रही है जो कि अस्वीकार्य है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *