सुगन्धित तेलों, परफ्यूमरी और अरोमाथेरेपी पर प्रशिक्षण कार्यशाला शुरु
देहरादून,। वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), देहरादून और सुगंध और स्वाद विकास केंद्र (एफएफडीसी), कन्नौज द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सुगन्धित तेलों, परफ्यूमरी और अरोमाथेरेपी पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला मंगलवार को शुरु हुई। इस प्रशिक्षण सह कार्यशाला में भारत के विभिन्न हिस्सों से कुल 32 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। प्रशिक्षण सह कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. रेणु सिंह, निदेशक, एफआरआई, देहरादून द्वारा किया गया, जिन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में समारोह की अध्यक्षता की। सभा को संबोधित करते हुए डॉ. रेणु सिंह ने मानव जीवन में सुगन्धित तेलों के महत्व और औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्र में उनकी क्षमता और संभावनाओं पर प्रकाश डाला। सुगंध उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के महत्व पर जोर देते हुए, और आवश्यक तेलों के उत्पादन और मूल्यवर्धन में भारत की क्षमता को रेखांकित करते हुए उन्होंने ऐसे अत्यधिक कुशल और प्रशिक्षित पेशेवरों को विकसित करने पर जोर दिया जो स्वाद और सुगन्ध उद्योग में अभिनव विचारों के साथ प्रभावी ढंग से काम कर सकें जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय योगदान को बढाया जा सके। उन्होंने सुगंध उद्यमियों के हित में प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए रसायन विज्ञान और बायोप्रोस्पेक्टिंग (सी एंड बीपी) डिवीजन, एफ.आर.आई. और एफ.एफ.डी.सी. के संयुक्त प्रयासों की सराहना की। विशेष अतिथि के रूप में प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए सुगंध व्यापार संघ, दिल्ली के अध्यक्ष रोहित सेठ ने प्राकृतिक सुगन्धित तेलों के चिकित्सीय लाभों पर प्रकाश डाला और सुगन्धित तेलों, परफ्यूमरी और अरोमाथेरेपी और इनके व्यापार के अवसरों और बाजार की संभावनाओं पर जोर दिया। ए.पी. सिंह, प्रमुख, प्रशिक्षण एवं कृषि प्रौद्योगिकी, एफएफडीसी, कन्नौज ने प्रशिक्षण सह कार्यशाला के कार्यक्रमों और एफएफडीसी की गतिविधियों के बारे में बताया।कार्यक्रम की शुरुआत प्रशिक्षण समन्वयक, डॉ वी. के. वार्ष्णेय, के स्वागत भाषण से हुई। पाठ्यक्रम निदेशक तथा समापन डॉ. विनीत कुमार, वैज्ञानिक-जी, सी एंड बीपी डिवीजन, एफआरआई द्वारा दिए गए धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। उद्घाटन समारोह में एफआरआई के प्रभागाध्यक्षों और सी एंड बीपी डिवीजन के डॉ. एस.एस. बिष्ट, डॉ के मुरली, स्टाफ और शोधार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती राधिका, रिसर्च स्कॉलर, सी एंड बीपी डिवीजन ने किया। यह प्रशिक्षण सह कार्यशाला 11 जून, 2022 तक जारी रहेगी और प्रतिभागियों को सुगन्धित तेलों के प्रसंस्करण, गुणवत्ता मूल्यांकन और चिकित्सीय लाभों और इत्र और अरोमाथेरेपी में उनके अनुप्रयोगों के मौलिक और व्यावहारिक पहलुओं के बारे में सुगंध उद्योग के विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और अरोमा थेरेपिस्ट द्वारा व्याख्यान और व्यावहारिक प्रदर्शनों के माध्यम से विस्तृत जानकारी प्रदान करेगी।