राज्य में औद्योगिक क्रांति के जनक थे तिवारी

नैनीताल । उत्तराखंड में विकास पुरुष के नाम से पहचाने जाने वाले पंडित नारायण दत्त तिवारी को हमेशा लोग याद रखेंगे। एनडी तिवारी ने प्रदेश के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री रहते हुए न केवल राज्य को विकास की राह दिखाई बल्कि केंद्र सरकार में विभिन्न पदों पर सुशोभित होते हुए राज्य में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत की। उत्तराखंड के स्विट्जरलैंड कहे जाने वाले भीमताल की पहली पर्वतीय औद्योगिक घाटी उन्हीं में से एक है। उन्होंने प्रदेश के विकास में कई मील के पत्थर स्थापित किए। कभी लोगों की कलाइयों की शान कही जाने वाली हिंदुस्तान मशीन टूल्स (एचएमटी) का रानीबाग का कारखाना भी तिवारी की ही देन है। एनडी तिवारी विशाल व्यक्तित्व के धनी थे। दूरदर्शिता उनके अंदर कूट-कूट कर भरी थी। केंद्र में उद्योग मंत्री रहते हुए 1980 के दशक में ही उन्होंने उत्तराखंड की पलायन की समस्या को भांप लिया था। इसीलिए उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में छोटे औद्योगिक आस्थान खोलने पर जोर दिया।
लगभग 100 एकड़ में स्थापित भीमताल की औद्योगिक घाटी उनकी इसी सोच का परिणाम रही। पर्वतीय क्षेत्रों में स्थापित होने वाली यह पहली औद्योगिक विकास यात्रा थी। प्राकृतिक रूप से बेहद खूबसूरत भीमताल को इलेक्ट्रॉनिक घाटी के रूप में विकसित करने का उनका सपना था। यूपी राज्य औद्योगिक निगम लिमिटेड के सहयोग से स्थापित इस इलेक्ट्रॉनिक घाटी में लगभग 100 से अधिक औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुईं। इन इकाइयों ने यहां एक दशक से अधिक समय तक उत्पादन किया। सैकड़ों स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला। जिसके कारण कुछ हद तक पहाड़ों से होने वाले पलायन पर भी रोक लगी।
तिवारी ने काशीपुर एवं कुमाऊं के अन्य क्षेत्रों को भी विकसित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। काशीपुर को भी उद्योग के रूप में उन्होंने अनेक तोहफे दिए। इनमें से कई औद्योगिक इकाइयां आज भी काम कर रही हैं और राज्य के विकास में सहयोग कर रही हैं। बतौर पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने नवगठित राज्य के हित में अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित कीं। देहरादून, हरिद्वार एवं उधमसिंह नगर को औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित करने में उनका अहम योगदान रहा।

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