राजाजी पार्क के अधिकारियों की पहुंच से दूर बाघिन
रायवाला : राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) पार्क के दक्षिणी हिस्से में बाघ शिफ्टिंग की योजना में विलंब हो रहा है। वजह यह कि जिस बाघिन के साथ के लिए बाघ छोड़े जाने हैं, उसकी लोकेशन अब तक ट्रैस नहीं हो पाई। राजाजी पार्क में बाघों का कुनबा बढ़ाने के मद्देनजर यहां कार्बेट टाइगर रिजर्व के तराई क्षेत्र से पांच बाघ शिफ्ट किए जाने हैं।
आरटीआर प्रशासन लंबे समय से इस कवायद में जुटा है। लेकिन, बाघ शिफ्टिंग से पहले यहां मौजूद एक मादा बाघ को ट्रैंकुलाइज कर उसके गले में रेडियो कॉलर लगाया जाना है, ताकि इसके जरिए पूरी योजना की निगरानी की जा सके। इस कार्य में बीते दो माह से वन कर्मियों की एक प्रशिक्षित टीम जुटी है, लेकिन अब तक मादा बाघ की लोकेशन ट्रैस नहीं की जा सकी। आरटीआर के दक्षिणी हिस्से मोतीचूर, बेरीवाड़ा और धौलखंड रेंज में सिर्फ दो मादा बाघ मौजूद हैं। इनकी उम्र छह वर्ष के आसपास है और यह लगभग तीन साल से यहां एकाकी जीवन बिता रही हैं।
आरटीआर प्रशासन इन दिनों दोनों मादा बाघों की लोकेशन तलाश रहा है। मंशा यह है कि इन दोनों का अकेलापन दूर करने के साथ ही पार्क में बाघों की संख्या बढ़ाई जा सके। इसके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने कार्बेट टाइगर रिजर्व से यहां दो नर व तीन मादा बाघ शिफ्ट करने की अनुमति दी हुई है।
बाड़े में रहेगी बाघिन
बाघिन के मुख्य वास स्थल के करीब एक हेक्टेयर क्षेत्र को बाड़े के तब्दील किया जाना है। इसमें नर बाघ को छोड़ा जाएगा, ताकि दोनों साथ-साथ रह सकें। बाघिन के मुख्य वास स्थल का पता लगाने के लिए वन कर्मियों की एक टीम करीब दो माह से जुटी है। इस काम में कैमरा ट्रैप की मदद ली जा रही है। कुछ जगहों पर उसकी तस्वीर कैद हुई और कुछ जगह पदचिह्न देखे गए, लेकिन उसके वास स्थल की सटीक जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है। यह बाघ शिफ्टिंग योजना का सबसे अहम हिस्सा है, लेकिन मादा बाघ के हाथ न आने से प्रक्रिया में विलंब हो रहा है।
राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघ शिफ्टिंग की योजना पर चल रहा है काम
राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक सनातन सोनकर का कहना है कि राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघ शिफ्टिंग की योजना पर काम चल रहा है। मोतीचूर में मौजूद एक मादा बाघ को रेडियो कॉलर लगाया जाना है, ताकि इसके जरिए पूरी योजना की निगरानी की जा सके। इसके लिए एनटीसीए से अनुमति मिल चुकी है।