यह जब्र भी देखा है तारीख की नज़रों से, लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई
देहरादून, । एक ओर देश अपना 75वा स्वतंत्रता दिवस मना रहा है वहीं दूसरी ओर आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर भारत पाकिस्तान बंटवारे के दौरान जान गंवाने वालों की याद में 16 अगस्त को गुरुद्वारा श्री गुरु हरिकृष्ण साहिब पटेल नगर, देहरादून में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें की सुबह पाठ के उपरांत रागी भाई दविंदर सिंह द्वारा गुरबाणी कीर्तन का गायन किया गया। साथ ही गुरुद्वारा साहिब के हेड ग्रंथि शमशेर सिंह ने कथा करते हुए बंटवारे के दौरान मारे गए हिंदू, सिख, मुसलमानांे को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी एवं बंटवारे के दर्द को लेकर अपने विचार गुरुद्वारे में मौजूद संगत से सांझे किए उन्होंने कहा कि बंटवारे का सबसे अधिक असर तत्कालीन पंजाब के सिख, हिंदू व मुस्लमानों को भुगतना पड़ा है। कई हिंदू-सिख परिवारों को अपनी जमीन, जायदाद, व्यापार, घरबार छोड़ कर पाकिस्तान से भारत आना पड़ा तो कई पंजाबी मुस्लमानों को पाक जाना पड़ा।उन्होंने कहा कि 10 अगस्त 1947 से लेकर 16 अगस्त 1947 तक देश के बंटवारे को लेकर अंग्रेजांे की दो राष्ट्र की नीति और सियासी लोगों की सांप्रदायिकता सोच के कारण सांझे पंजाब के जहां दो टुकड़े हुए, वहीं लाखों सिख हिंदुओं और मुसलमानों को सांप्रदायिकता की आग में झुलसना पड़ा, लाखों परिवारों को उजड़ना पड़ा, मजहब के जुनून में अंधी भीड़ और फिरका परस्त लोगों द्वारा ऐसा कोहराम मचाया गया कि हर तरफ खून की नदियां बह रही थी, ऐसे में 10 लाख के करीब पंजाबी इस बंटवारे में मारे गए, आज भी हमारे बुजुर्ग उस कत्लेआम के समय को याद कर सिहर उठते हैं उन्होंने कहा कि आज पूरा देश जहां आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, वहीं भारत पाक बटवारे में अपनी जान गवाने निर्दाेष और बेकसूर लोगों को भी हमें याद करना चाहिए, आज पुराना समा गया लौट के नहीं आ सकता परंतु विभाजन से हम सिर्फ़ यही सीख सकते है कि साम्प्रदायिक नफ़रत कितना बड़ी प्रलय ला सकती है और जो दंश हमारे आपके परिवार ने झेला वह किसी और को न झेलना पड़े इसके लिए ज़रूरी है देश में साम्प्रदायिक सद्भाव, आपसी प्रेम और एकता बनी रहे। इसके उपरान्त 1947 की दिवंगत आत्माओं की शांति व देश में आपसी प्रेम सौहार्द कायम रखने के लिए गुरद्वारा साहिब में अरदास की गई, इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव जगजीत सिंह, स्टेज सेक्रेटरी करतार सिंह, सदस्य जसविंदर सिंह व अमरजीत सिंह सहित गुरुद्वारा समिति के अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।