हेमकुंड साहिब की तीर्थयात्रा की पैदल दूरी जल्द सात किमी और कम हो जाएगी
गोपेश्वर, । सिख समाज के प्रसिद्ध तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब की तीर्थयात्रा की पैदल दूरी जल्द सात किलोमीटर और कम हो जाएगी। यात्रा मार्ग पर पुलना से भ्यूंडार गांव तक सड़क निर्माण के प्रस्ताव को केंद्र सरकार की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। सड़क निर्माण होने के बाद यात्रियों को सिर्फ आठ किमी पैदल चलना पड़ेगा और एक दिन में हेमकुंड साहिब के दर्शन कर लौट सकेंगे। बदरीनाथ हाईवे पर स्थित गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब की दूरी 20 किमी है। तीर्थयात्री शुरुआत के पांच किमी स्थित पुलना गांव तक वाहन से पहुंचते हैं, जबकि हेमकुंड तक पहुंचने के लिए 15 किमी पैदल चलना पड़ता है।यात्री पुलना से नौ किमी की पैदल दूरी तय कर घांघरिया पहुंचते हैं, जबकि घांघरिया से हेमकुंड साहिब (छह किमी) तक विकट पैदल रास्ता है। इस आस्था पथ पर अधिकांश तीर्थयात्री घोड़े से आवाजाही करते हैं। ऐसे में तीर्थयात्रियों को घांघरिया पड़ाव आने पर गुरुद्वारे में रात्रि विश्राम करना पड़ता है। इसके बाद अगले दिन हेमकुंड साहिब पहुंचते हैं। इसके बाद हेमकुंड के दर्शन करके लौटने पर भी घांघरिया में रुकना पड़ता है फिर वह गंतव्य को रवाना होते हैं, मगर अब पुलना से भ्यूंडार गांव तक सात किमी सड़क की मंजूरी मिल गई, जिससे तीर्थयात्रियों की पैदल दूरी कम हो जाएगी और वह एक ही दिन में हेमकुंड के दर्शन कर सकेंगे। गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट अध्यक्ष नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा ने वर्ष 2021 में पुलना से भ्यूंडार गांव तक सड़क निर्माण के लिए राज्य व केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजा था। उन्होंने सीएम से भी मुलाकात की थी। इसके बाद राज्य सरकार की स्वीकृति मिलने पर लोनिवि प्रांतीय खंड गोपेश्वर डिवीजन ने 7.2 किमी सड़क निर्माण का प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा था। अब सरकार की ओर से सड़क निर्माण के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी गई है। सड़क निर्माण में वन भूमि आ रही थी। ऐसे में वन विभाग की प्रक्रिया के तहत 9.2 हेक्टेयर भूमि भी कर्णप्रयाग में हस्तांतरित कर दी गई है। चमोली के डीएम हिमांशु खुराना का कहना है कि भ्यूंडार गांव तक सड़क निर्माण के लिए केंद्र सरकार की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। सड़क निर्माण कार्य इसी वर्ष शुरू हो जाएगा। सड़क निर्माण से भ्यूंडार गांव के ग्रामीणों की आवाजाही भी सुगम होगी। अभी ग्रामीणों को पुलना तक सड़क तक पहुंचने के लिए सात किमी दूरी तय करनी पड़ती थी। तारकोल की पक्की सड़क बनेगी।