राजनीति का अखाड़ा न बने लोकतंत्र के मंदिर : लोक सभा अध्यक्ष

देहरादून। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिडला ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिरों को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाया जाना चाहिए। विरोध में भी अवरोध न हो यही सदन की मर्यादा है और यही संसदीय लोकतंत्र की खूबसूरती भी। उन्होंने कहा कि विधान मंडलों को जनता के प्रति जबावदेह बनाने की जरूरत है।  लोक सभा अध्यक्ष ओम बिडला, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने बुधवार को देहरादून में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79 वें सम्मेलन का उदघाटन किया। लोक सभा अध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा कि सदन वाद-विवाद, असहमति और चर्चा के लिए है, लेकिन इस वजह से व्यवधान नहीं होना चाहिए। गतिरोध से लोकतंत्र की मूल भावना आहत होने के साथ ही सदस्यों के अधिकारों का भी हनन होता है।  उन्होंने कहा कि समय की जरूरत है कि विधानमंडलों के कामकाज में एकरूपता लाई जाए। पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में इस पर चर्चा कर लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूती प्रदान करने के प्रयास होंगे। बिडला ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को 2021 में 100 साल हो जाएंगे, जबकि 2022 देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ है।  बिडला ने कहा कि यह विशेष अवसर लोक तंत्र के मंदिरों को और अधिक जबावदेह बनाने का है। इस अवसर पर सांसद अजय भट्ट, माला राज्यलक्ष्मी शाह, तीरथ सिंह रावत, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, मेयर सुनील उनियाल गामा, विभिन्न राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष, विधानसभा उपाध्यक्ष, विधान परिषदों के सभापति एवं राज्य के कई विधायक मौजूद रहे।

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