राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की
देहरादून। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और विधायक मुन्ना सिंह चैहान ने मुख्यमंत्री की सोशल मीडिया में छवि खराब करने के मामले पर हाई कोर्ट के निर्णय पर आश्चर्य जताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को पूरे मामले में नही सुना गया। उन्हें पार्टी नहीं बनाया गया। बावजूद इसके मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने का यह निर्णय गलत है। सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर चुकी है। बुधवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए भाजपा के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना चैहान ने कहा कि वह कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं है। जब मामले में आरोपित खुद कोर्ट के सामने इस बात को स्वीकार कर चुका है कि उसकी जानकारी गलत थी। जब शिकायतों का ही कोई औचित्य नहीं तो उनकी जांच कैसे की जा सकती है। उन्होंने कांग्रेस द्वारा नैतिकता के आधार पर इस्तीफे देने की मांग को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी आधारहीन तथ्यों पर यह मांग कर रही है।गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री के खिलाफ फेसबुक पोस्ट लिखने के मामले में दर्ज प्राथमिकी को निरस्त कर दिया। साथ ही पूरे मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दिए हैं। मामले के अनुसार सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने 31 जुलाई को देहरादून थाने में उमेश शर्मा के खिलाफ ब्लैकमेलिंग करने सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया।मुकदमे के अनुसार उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया में खबर चलाई की प्रो. हरेंद्र सिंह रावत और उनकी पत्नी डॉ. सविता रावत के खाते में नोटबंदी के दौरान झारखंड से अमृतेश चैहान ने पैंसे जमा किए और यह पैसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को देने को कहा।इस वीडियो में डॉ. सविता रावत को मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बहन बताया गया है। शिकायतकर्ता के अनुसार ये सभी तथ्य असत्य हैं और उमेश शर्मा ने बैंक के कागजात कूटरचित तरीके से बनाये हैं। उसने उनके बैंक खातों की सूचना गैर कानूनी तरीके से प्राप्त की है। इस बीच सरकार ने आरोपित के खिलाफ गैंगस्टर भी लगा दी थी। उमेश शर्मा ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिये हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अन्य ने पैरवी की थी। उनकी दलील थी कि नोटबंदीके दौरान हुए लेनदेन के मामले में उमेश शर्मा के खिलाफ झारखंड में मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें वे पहले से ही जमानत पर हैं। इसलिये एक ही मुकदमे के लिये दो बार गिरफ्तारी नहीं हो सकती। पत्रकार उमेश कुमार और अन्य के खिलाफ देहरादून के अमृतेश चैहान द्वारा मामला दर्ज किया था। सोमवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने प्राथमिकी को निरस्त कर दिया।