महिला आईपीएल के आयोजन का यह सही समय : मिताली राज
नई दिल्ली: भारतीय महिला क्रिकेट टीम टुकड़ियों में वापस लौट रही है. मुंबई में खिलाड़ियों की पहली खेप आई तो उनके चेहरों पर फ़ख़्र और मन में उम्मीदों का सपना सजा था. इन खिलाड़ियों को लगने लगा है कि इस खेल की फ़िज़ा बदलने लगी है. आज सुबह मुंबई पहुंची पहली खेप में हरमनप्रीत कौर, झूलन गोस्वामी, स्मृति मंधाना, शिखा पांडेय, पूनम राउत, पूनम यादव और सुषमा वर्मा जैसी खिलाड़ी शामिल रहीं. मुंबई एयरपोर्ट पर फ़ैन्स और युवा क्रिकेट खिलाड़ियों ने इनका स्वागत किया. रविवार को हुए वर्ल्ड कप फ़ाइनल में भारतीय टीम इंग्लैंड से 9 रन से हार गई, लेकिन इस बार उन्होंने खूब सुर्ख़ियां बटोरीं. उम्मीद की जा रही है कि इस बार भारतीय महिला क्रिकेट की दिशा और दशा भी बदल जाएगी.
हैरान नजर आईं मिताली राज
कप्तान मिताली राज भी टीम के इस स्वागत को देखकर थोड़ी हैरान नज़र आईं. मिताली ने कहा, ‘जिस तरह से इस बार महिला क्रिकेट को अहमियत दी जा रही है. मुझे लगता है कि ये महिला आईपीएल को शुरू करने का सही वक्त है. न सिर्फ़ भारतीय खिलाड़ियों ने बल्कि दूसरी टीम की खिलाड़ियों ने भी शानदार प्रदर्शन किया. वैसे ये बीसीसीआई के ऊपर है कि वो इस बारे में कैसे आगे बढ़ती है.’ ये टीम 12 साल बाद दोबारा फ़ाइनल खेलकर वापस लौटी है. हालांकि इस बार टीम की सोच भी अलग नज़र आ रही है. 40 वनडे में 6 अर्द्धशतकीय पारियां खेलने वाली बल्लेबाज़ वेदा कृष्णामूर्ति कहती हैं, ‘ऐसा सोचा नहीं था कि ऐसा कुछ होगा. हम ये सोच कर गए थे कि जीतें या हारें सब एक टीम की तरह खेलेंगी.’
फ़ैन्स की तरह इन खिलाड़ियों के ज़ेहन में भी फ़ाइनल के हार की टीस है. हालांकि टीम को इस बात का फ़ख़्र है कि पूरे टूर्नामेंट में इनमें एका बराबर बनी रही. आगरा की 25 साल की लेग स्पिनर पूनम यादव बताती हैं, ‘अच्छी बात ये रही कि टीम ने कंसिस्टेंट परफ़ॉरमेंस किया. पूरी टीम चल रही थी. ऐसा नहीं था कि किसी एक खिलाड़ी पर टीम निर्भर कर रही हो.’ 27 साल की बल्लेबाज़ पूनम राउत को मलाल है कि अच्छी योजना के बावजूद आख़िरी पांच ओवरों में टीम हार गई. वो कहती हैं, ‘पहले भी लॉर्ड्स पर ही हमने ये लक्ष्य इंग्लैंड के ख़िलाफ़ हासिल कर लिया था. हम 2012 में उन्हें हरा चुके थें. हमें पूरा भरोसा था कि जीत हमारी होगी. लेकिन आख़िर में हम लड़खड़ा गए.’
आखिरी पांच ओवर में दबाव नहीं झेल पाए
ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ धमाकेदार शतक (115 गेंदों पर नाबाद 171 रन) ठोकने वाली 28 साल की पंजाब की हरमनप्रीत कहती हैं, “उस वक्त फ़ाइनल में कौन अच्छा खेलता है जीत उसी की होती है. हमने 95 ओवर अच्छा खेल दिखाया बस आख़िरी पांच ओवरों में हमारे खिलाड़ी दबाव नहीं झेल पाए. लेकिन खेल में ऐसा होता रहता है’.