लीक होना सरकार की नाक का प्रश्न
सेधमारी और बेपटरी सिस्टम ने उत्तर प्रदेश की प्रतियोगी परीक्षाओं की चूलें हिला दी है। एक-एक कर तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होना सरकार की नाक का प्रश्न है। ऐसे में नलकूप परीक्षा का पर्चा लीक होने बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा परीक्षाओं के पर्चे लीक कराने पर रासूका लगाने की घोषणा के साथ ऐसे मामलों में फास्टट्रेक कोर्ट के तह्त कार्रवाई के साथ, सिस्टम पर सेधमारी करने और कराने वालों सरकारी मुल्जिमों को दोहरा दण्ड देना होगा। क्या शिक्षक दिवस के दिन भावी शिक्षकों पर लाठी चार्ज होना एक बेहतर व्यवस्था का घोतक है।
इसके पीछे कई कारण है जब किसी माॅ का पालापोसा और पढ़ा लिखा बेटा इस तरह का बाॅत करेगा तो व्यवस्था पर प्रश्न उठना लाजिमी है। मथुरा के आशीष सिंह ने रविवार को अपनी मां को लखनऊ से मेसेज किया,‘‘मेरा इंतजार मत करना। अब मेरा शव ही वापस आएगा।‘‘ 68 हजार 500 शिक्षकों की भर्ती में क्वॉलिफाई करने के बावजूद बाहर कर दिए गए आशीष काउंसलिंग के लिए आवंटन पत्र लेने लखनऊ आए थे, लेकिन यहां उन्हें पुलिस से मार खानी पड़ी। इसी तरह कानपुर से नलकूप चालक (सामान्य चयन) परीक्षा देने आए विनोद जब राजाजीपुरम स्थित परीक्षा केंद्र पहुंचे तो उन्हें पता चला कि पेपर लीक के बाद परीक्षा स्थगित हो गई है। एक तरफ सीएम योगी के सख्त रुख के बाद आशीष को तो देर शाम काउंसलिंग पत्र जारी होने की सूचना मिल गई, लेकिन विनोद जैसे सैकड़ों लोग सिस्टम की ढिलाई से मायूस होकर लौट गए। यह पहला मौका नही जब बेरोजगारों के साथ साथ उनके परिजनों के साथ खिलवाड़ किया गया हो इसके पहले योगी आदित्यनाथ की सरकार में ही 14 मई 2017 को एसएससी मल्टीटास्किंग स्टाफ परीक्षा का पेपर वॉट्सऐप पर लीक, एसटीएफ ने दो को आगरा से गिरफ्तार किया था। यूपी पुलिस की एसआई भर्ती ऑनलाइन परीक्षा का पेपर लीक, एसटीएफ ने 22 अगस्त 2017 को पेपर हैक करने वाले गैंग के सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एसटीएफ ने 10 और 12 नवंबर 2017 को हाई कोर्ट की ग्रुप सी व डी की परीक्षा में गड़बड़ी करने के आरोप में 20 लोगों को इलाहाबाद, गोरखपुर व लखनऊ से गिरफ्तार किया थां। जबकि 28 मार्च 2018 को यूपीपीसीएल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक और सॉल्वर गैंग का पर्दाफाश करते हुए 12 लोगों को दबोचा गया था। इसके बाद 17 मार्च 2018 को मेरठ यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस समेत अन्य परीक्षाओं की कॉपियां बाहर से लिखवाने वाले गैंग का पर्दाफाश हो चुका है। यानि एक दो नही बल्कि लाखों लाॅख युवा बेरोजगारों के समय, धन के साथ उनके साथ फेल सिस्टम ने भद्दा मजाक किया। प्रदेश में हो रहीं भर्ती परीक्षाएं और भर्तियां लगातार सवालों के घेरे में हैं। परीक्षाओं के बार-बार पेपर लीक हो रहे हैं और भर्तियां विवाद कारण टल रही हैं। फिर चाहे वह यूपी पुलिस सिपाही भर्ती में गलत पेपर बंटने का मामला हो या दो सितम्बर 18 को यूपीएसएसएससी की नलकूप ऑपरेटर परीक्षा का पेपर लीक होने का मामला। हर बार सिस्टम की गलतियों का खमियाजा लाखों अभ्यर्थियों को झेलना पड़ रहा है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह फैसला सराहनीय है कि परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक करने के आरोपितों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की जाएगी। वास्तव में यह प्रावधान बहुत पहले कर दिया जाना चाहिए था क्योंकि परीक्षा एवं कोचिंग माफिया द्वारा प्रश्नपत्र लीक करने का धंधा नई बात नहीं है। यह सही है कि एक-दो वर्षो में ऐसी घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। इसे देखते हुए इस माफिया के खिलाफ कड़े तेवर की जरूरत महसूस की जा रही थी। परीक्षाओं के पेपर लीक हो जाना गंभीर समस्या बन चुकी है। इसे रोक पाने में प्रशासनिक खुफिया तंत्र पूरी तरह विफल साबित हुआ है। इसकी वजह है कि इस माफिया की जड़ें परीक्षा आयोजक संस्थाओं तक फैल चुकी हैं। देखा गया है कि इन्हीं संस्थाओं के कर्मचारी प्रश्नपत्र लीक कराने में भूमिका निभाते हैं। मोबाइल संचार सुविधा ने इन अपराधियों का काम काफी आसान कर दिया है और पलक झपकते ही प्रश्नपत्र वायरल हो जाता है। परीक्षाओं की पवित्रता कायम रखने के लिए एक ऐसी प्रणाली विकसित किए जाने की आवश्यकता है जिसमें कोई सूराख न हो। इसके लिए एक स्वायत्त इकाई स्थापित की जा सकती है जो संबंधित संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित करके सभी परीक्षाओं के सिर्फ प्रश्नपत्रों की तैयारी और वितरण के लिए जवाबदेह हो। ऐसे अन्य विकल्प भी हो सकते हैं। इस मामले में खुफिया तंत्र को बेहद मजबूत एवं सक्रिय किए जाने की जरूरत है। इस तंत्र के जरिये प्रश्नपत्र माफिया पर न सिर्फ नजर रखी जाए बल्कि इसे चिह्न्ति करके निरोधक कार्रवाई भी की जानी चाहिए।
हालाकि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अब हर भर्ती के लिए दो लिखित परीक्षाएं करवाने की तैयारी कर रहा है। पेपर आउट होने की घटनाओं को रोकने के लिए यह कदम उठाया जा सकता है। आईएएस की तर्ज पर एक ‘‘स्क्रीनिंग‘‘ परीक्षा होगी और उसके बाद श्मेंसश् होगी। जल्द आयोग इस पर निर्णय ले सकता है। आयोग की ज्यादातर परीक्षाओं में पहले लिखित परीक्षा और उसके बाद इंटरव्यू होता था। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद इंटरव्यू की व्यवस्था खत्म कर दी गई। इसकी वजह पिछली सरकार में इंटरव्यू में धांधली की शिकायतें थीं। नए सिरे से आयोग का गठन होने के बाद अभी तक ज्यादातर पुराने रुके इंटरव्यू ही करवाए जा रहे हैं। ये इंटरव्यू लगभग खत्म होने वाले हैं। आयोग ने जितनी भी नई भर्तियों के विज्ञापन निकाले हैं, सभी में लिखित परीक्षा के आधार पर ही चयन होना है। कई परीक्षाओं की गड़बड़ी की जांच कर रही एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि परीक्षा करवाने वाली एजेंसी और सम्बंधित सरकारी विभागों के सिस्टम में कमियों के कारण बार-बार पेपर लीक हो रहे हैं। एसटीएफ ने कई बार सम्बंधित एजेंसियों व विभाग को पत्र लिखकर सिस्टम दुरुस्त करने के लिए भी कहा है।इस अपराध के आरोपितों पर रासुका लगाने का निर्णय इस दृष्टि से भी उचित है कि आरोपितों को जेल में रखकर घटना की विवेचना करना और साक्ष्य संकलित करना आसान हो जाएगा यद्यपि इस अपराध की प्रवृत्ति पर पूर्ण अंकुश लगाने के लिए सजा के प्रावधान हद दर्जे तक कठोर करने की आवश्यकता है। प्रश्नपत्र लीक होने से मेधावी अभ्यर्थी हतोत्साहित होते हैं जबकि माफिया की मदद से परीक्षा दे रहे अभ्यर्थी लाभान्वित होते हैं। यह परिस्थिति हर नजरिए से घातक है लिहाजा इसे रोकने के लिए हर संभव इंतजाम किया जाना चाहिए। देश की स्थिति और परिस्थिति के साथ वातावरण भी बदल रहा है। ऐसा न हो कि लगातार परीक्षाओं में हो रही सेधमारी से नाराज बेरोजगारों ने एकजुट होकर सरकार से लड़ने का मन बना लिया तो पूरा सिस्टम लड़खड़ा जाएगा।