पतंजलि योगपीठ स्थित वैदिक गुरुकुलम् प्रांगण में मनाया गया रक्षा बंधन का पर्व
हरिद्वार, । लाखों-करोड़ों बहनों की श्रद्धा, आस्था व विश्वास के केन्द्र, मातृशक्ति को गौरव प्रदान करने वाली गुरुसत्ता के रूप में स्वामी रामदेव महाराज तथा आचार्य बालकृष्ण महाराज के आशीर्वाद से पतंजलि योगपीठ स्थित वैदिक गुरुकुलम् प्रांगण में रक्षा बंधन पर्व (श्रावणी उपाकर्म) हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में बहनों ने पूज्य गुरुसत्ता को रक्षासूत्र बांधकर आशीर्वाद प्राप्त किया। पूज्य गुरुसत्ता ने राष्ट्रसेवा में अहर्निश संलग्न सभी माताओं व बहनों को रक्षाबंधन पर्व की शुभकामनाएँ प्रेषित की।इस अवसर पर स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि रक्षा बंधन मात्र धागों का त्यौहार नहीं है, ये तो प्रतीक हैं कि हम धर्म, मर्यादा, जीवन के श्रेष्ठ आदर्शों व उनके अनुशासन में बंधे हैं। इनका अनुसरण करते हुए हम आगे बढ़ते रहें, यही रक्षा बंधन का संदेश है। जो योग करेंगे व सात्त्विक जीवन के अनुरूप जीवन जीएँगे, वे अपनी रक्षा के साथ-साथ बहन-बेटियों, धर्म व संस्कृति की भी रक्षा कर पाएँगे। कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि रक्षा बंधन में रक्षासूत्र व यज्ञोपवीत प्रतीकात्मक हैं। हम प्रतिदिन जो यज्ञोपवीत पहनते हैं इसका उद्देश्य भी तो यही है कि हमें स्मरण रहे कि हम ऋणि हैं, उऋण नहीं हैं। भारतवर्ष के कुछ इलाकों तथा नेपाल में इस पर्व को जनेऊ पूर्णिमा कहते हैं। कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. महावीर ने कहा कि विश्व के कल्याण के लिए कभी महर्षि पतंजलि, गौतम, कणाद के रूप में ऋषि इस धरा पर अविर्भूत हुए, कभी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अवतरित होकर मर्यादा स्थापित की, तो कभी योगेश्वर श्रीकृष्ण के रूप में आकर धर्म की रक्षा का उद्घोष सारे संसार में किया। आज उसी वैदिक संस्कृति व आदर्श परम्परा को सारे विश्व में प्रचारित-प्रसारित करने के लिए परमात्मा ने दो विभूतियों को पूज्य स्वामी जी महाराज व पूज्य आचार्य जी महाराज के रूप में संसार में भेजा है। उन्होंने वैदिक कन्या गुरुकुल की पूज्या स्नेहमयी साध्वी बहनों को रक्षा बंधन पर्व की शुभकामनाएँ दी।इस अवसर पर साध्वी आचार्या देवप्रिया, बहन ऋतम्भरा, बहन अंशुल, बहन पारुल, बहन साधना, साध्वी देवमयि, साध्वी देवुश्रुति, साध्वी देवप्रिति, बहन अंजू, बहन नीलम, बहन प्रवीण पूनिया, बहन ज्योति आर्या आदि ने पूज्य गुरुसत्ता को रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरुसत्ता द्वारा वैदिक गुरुकुलमघ् के विद्यार्थियों को यज्ञोपवीत भी धारण कराया गया।