हेमकुंड साहिब के कपाट खुले
चमोली, । गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के कपाट शनिवार को श्रद्धालुओं के लिए विधिवत अरदास के साथ खोल दिए गए हैं। इस पावन अवसर पर लगभग 2000 संगतों की उपस्थिति में श्री हेमकुंड साहिब की पावन यात्रा का भव्य रूप से आरंभ हो गया है। पंच प्यारों की अगुवाई में पवित्र निशान के साथ गोविंदघाट गुरुद्वारे से श्रद्धालुओं का पहला जत्था शुक्रवार सुबह घांघरिया रवाना हुआ था जो शनिवार सुबह कपाट खोलने के पावन अवसर के साक्षी बने।़ऋषिकेश गुरुद्वारा परिसर से 17 मई को पंज प्यारों की अगुवाई में राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों द्वारा पहले जत्था को रवाना किया गया थो जो कि गुरुद्वारा गोविंद घाट से गोविंद धाम पैदल चलते हुए शनिवार प्रातः हेमकुंड साहिब पहुंचा। प्रातः काल से ही हजारों की संख्या में देश-विदेश से आए श्रद्धालू हेमकुंड साहिब पहुंचने लगे। बैंडबाजों की धुन एवं संगतों द्वारा किए गए कीर्तन, पुष्पवर्षा के बीच पंज प्यारों की अगुवाई में गुरुद्वारा साहिब के मुख्यग्रंथी भाई मिलाप सिंह एवं गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब के प्रबंधक सरकार गुरनाम सिंह द्वारा प्रातः 9.30 बजे पवित्र गुरु गं्रथ साहिब के पावन स्वरूपों को सुखासन स्थल से दरबार साहिब में लाया गया और पावन प्रकाश करते हुए अरदास की। मुख्य ग्र्रंथी द्वारा 10.15 बजे सुखमरी साहिब का पथ किया गया। 11.30 बजे भाई सूबा सिंह रागी जत्था, भाई सुखविंदर सिंह रागी जत्था एवं भाई जसबीर सिंह रागी जत्था द्वारा गुरबाणी कीर्तन किया गया, जिससे कि दरबार साहिब में उपस्थित संगतें निकाल हो उठीं। दोपहर 12.30 बजे अरदास की गई एवं पहला हुकमनामा जारी किया गया। इसके अलावा निशान साहिब के चोले की सेवा भी चलती रही एवं फूलों से दरबार हाॅल की सजावट भी की गई। यात्रा मार्ग पर भारी बर्फ होने के कारण इस बार यात्रा में 60 साल से अधिक आयु के श्रद्धालु और बच्चों को आने की अनुमति नहीं है। एक दिन में हेमकुंड साहिब जाने के लिए सिर्फ ढाई हजार यात्रियों को ही अनुमति दी जाएगी। इस दौरान बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर पंवार, गुरुद्वारा प्रबंधक सेवा सिंह, डेकन के प्रभारी ब्रिगेडियर देवेंद्र सिंह, 418 इंजीनियर कोर के कर्नल सुनील यादव आदि मौजूद रहे। वहीं जत्थेदारों में दिल्ली से आए देवेंद्र कोर का जत्था, पंजाब के गुरदासपुर से बलजींदर का जत्था, रोपण से जगदीप सिंह के जत्थे के अलावा पंजाब रोडवेज के कर्मचारी आदि मौजूद रहे।