वस्त्र उद्योग भारत का एक प्राचीनतम उद्योग : धन सिंह रावत
नई दिल्ली/ देहरादून। उच्च शिक्षा, सहकारिता, दुग्ध विकास एवं प्रोटोकॉल राज्य मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने गुरूवार को नई दिल्ली स्थित एनडीएमसी कांवेन्शन सेन्टर में केन्द्रीय वस्त्र मंत्री श्रीमती स्मृति जूबिन ईरानी की अध्यक्षता में आयोजित विभिन्न राज्यों के वस्त्र मंत्रियों की बैठक में प्रतिभाग किया।
बैठक में डॉ.धन सिंह रावत ने कहा कि वस्त्र उद्योग भारत का एक प्राचीनतम उद्योग तथा हमारी आर्थिक एवं सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग है। देश के कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों से वस्त्र उद्योग का सीधा संबंध है। यह रोजगार एवं आय के साधन उपलब्ध कराकर बहुत बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका अर्जन का साधन रहा है। उन्होंने कहा कि पृथक राज्य गठित होने के बाद उत्तराखण्ड ने तेजी से आर्थिक प्रगति की है और उद्योग के क्षेत्र में बड़ी संख्या में निवेश आकर्षित करने में भी राज्य सफल रहा है। तीव्र औद्योगिक विकास के साथ-साथ अन्य आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आई है। उत्तराखण्ड एक पर्यटन प्रदेश है, जहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। प्रदेश में हथकरघा एवं हस्तशिल्प आधारित सोविनियर उत्पादों के विकास की बड़ी सम्भावनायें हैं।डॉ.धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में एकीकृत हस्तशिल्प विकास एवं प्रोत्साहन योजना Integrated Development and Promotion of Handicrafts राज्य के १५ विकासखण्डों में संचालित की जा रही है। योजना के अन्तर्गत देश के प्रतिष्ठित संस्थानों के डिजाईनरों के माध्यम से डिजाईन विकास कार्यशालायें आयोजित की गयी है तथा कई नये उत्पाद विकसित किये गये हैं। इस एकीकृत योजना में विपणन प्रोत्साहन एवं टूल किट वितरण के कार्यक्रम भी सम्मिलित हैं। योजना के क्रियान्वयन के पश्चात् विकसित उत्पादों को बाजार में भी अच्छा रिस्पांस मिला है और शिल्पियों के मध्य एक उत्साहजनक एवं सकारात्मक वातावरण बना है। डॉ.धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नाबार्ड की आरआईडीएफ योजना के अन्तर्गत ०४ मार्केटिंग हाट भीमतल्ला(बद्रीनाथ राजमार्ग पर), काशीपुर(नैनीताल-जिम कार्बेट राजमार्ग पर), देहरादून(आईटी पार्क) एवं पिथौरागढ़ में बनाये जा रहे हैं। ये सभी हाट इसी वर्ष प्रारम्भ हो जायेंगे। उन्होनें बताया कि आरआईडीएफ योजना के अन्तर्गत कॉमन फैसिलिटी सेन्टर के निर्माण हेतु १० लाख रूपये का प्राविधान है, जिसे बढ़ाये जाने की उन्होंने जरूरत बतायी। इसके अतिरिक्त सामान्य सुविधा केन्द्र के संचालन के लिये कम से कम ३ वर्ष तक सहायता भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाय। उन्होंने कहा कि नेशनल हैण्डलूम एक्सपो एवं स्पेशनल हैण्डलूम एक्सपो के साथ-साथ जिला स्तरीय हथकरघा प्रदर्शनी (डीएलई) उत्तराखण्ड राज्य के लिये अधिक महत्वपूर्ण है। जिला स्तरीय हथकरघा प्रदर्शनियां प्रायः विभिन्न जनपदों में पारम्परिक सांस्कृतिक मेलों के साथ आयोजित की जाती हैं। इनकी अवधि ५ से ७ दिन की ही होती है एवं यहां पर स्टॉलों की संख्या भी कम होती है। उन्होनें केन्द्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि उत्तराखण्ड राज्य को अधिक जिला स्तरीय हथकरघा प्रदर्शनी भी स्वीकृत की जाए।डॉ.धन सिंह रावत ने राज्य के हथकरघा एवं हस्तशिल्प उत्पादों के प्रोत्साहन हेतु राज्य की राजधानी देहरादून एवं अन्य पर्यटक स्थलों पर बुनकर/शिल्पियों के उत्पादों को इम्पोरियम के माध्यम से विपणन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये देहरादून एवं हल्द्वानी में नये इम्पोरियम की स्थापना qI nfrastructure and Technology Support के अन्तर्गत म्उचवतपं मद से राज्य के प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान करने का भी अनुरोध किया। उन्होनें कहा कि राज्य के परम्परागत शिल्प क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने वाले शिल्पियों को समुचित सम्मान दिये जाने के उद्देश्य से ज्ज्उत्तराखण्ड राज्य शिल्प रत्न पुरस्कारज्ज् योजना प्रारम्भ की गयी है जिसके अन्तर्गत शिल्पी को पुरस्कार स्वरूप १.०० लाख रूपये की धनराशि, प्रशस्ति पत्र एवं अंगवस्त्र प्रदान किया जाता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार राज्य में नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ फैशन टैक्नॉलोजी NIFT की स्थापना के लिये राज्य सरकार द्वारा जौलीग्राण्ट एयरपोर्ट के पास लगभग २६ एकड़ भूमि का चयन किया है। उन्होनें अनुरोध किया कि उत्तराखण्ड जैसे हिमालयी एवं छोटे राज्यों को इस संस्थान को स्थापित किये जाने हेतु आवश्यक सहायता भारत सरकार द्वारा शीघ्र प्रदान की जाय।
केन्द्रीय वस्त्र मंत्री श्रीमती स्मृति जूबिन ईरानी ने बैठक में उत्तराखण्ड राज्य को हर संभव सहयोग दिये जाने का आश्वासन देते हुये कहा कि उत्तराखण्ड राज्य से संबन्धित प्रकरणों एवं सुझावों के लिये केन्द्रीय वस्त्र मंत्रालय में विशेष बैठक आयोजित कर राज्य से संबन्धित सभी प्रकरणो पर विचार किया जायेगा। बैठक में केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा, विभिन्न राज्यों के वस्त्र मंत्री एवं उत्तराखण्ड के हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद् के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सुधीर चन्द नौटियाल उपस्थित थे।